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कोई दस लाख रुपये में। पिकासो की पत्नी से उसने पूछा कि यह चित्र प्रामाणिक तो है न? ऑथेंटिक तो है न? पिकासो का ही है न?
पिकासो की पत्नी ने कहा, बिलकुल निश्चित होकर आप खरीद लें; क्योंकि यह चित्र मेरे सामने ही पिकासो ने बनाया है।
चित्र खरीद लिया गया। वह आदमी पिकासो को यह खबर देने गया। उसने कहा जाकर पिकासो से कि मैंने दस लाख रुपये में आपका एक चित्र खरीदा है। वह चित्र भी साथ ले गया था। पिकासो ने उस चित्र को देखा और कहा कि यह असली नहीं है, ऑथेटिक नहीं है। ___ वह आदमी तो होश खोने लगा। दस लाख रुपये लगाये उसने और पिकासो ने कह दिया कि नहीं, यह प्रामाणिक नहीं है! तो उस आदमी ने कहा, आप कैसी बात कर रहे हैं? आपकी पत्नी ने गवाही दी है कि यह चित्र उसके सामने बना है।
उसकी पत्नी मौजूद थी। उसने भी कहा, आप कैसी बात कर रहे हैं? भूल गए हैं क्या? यह चित्र आपने बनाया है। मैं मौजूद थी।
पिकासो ने कहा, मैंने बनाया जरूर, लेकिन यह ऑथेंटिक नहीं है।
तब तो और मुश्किल हो गई। अगर पिकासो ने ही बनाया है, तो फिर प्रामाणिक क्यों नहीं है? तब तो उस खरीददार ने कहा, आप मजाक तो नहीं कर रहे हैं?
पिकासो ने कहा मैं मजाक नहीं कर रहा हं। यह चित्र बनाया तो मैंने ही है. लेकिन यह चित्र मैं एक दफा पहले और बना चुका हूं। अब यह सिर्फ उसकी कापी है। और यह कापी कोई दूसरा करे तो भी प्रामाणिक नहीं है, और मैं खुद करूं तो भी प्रामाणिक नहीं है। यह कापी है, ओरिजिनल नहीं है। यह खयाल मैं एक दफा पहले प्रकट कर चुका हूं।
लेकिन परमात्मा जो खयाल एक दफे प्रकट कर चुका, दुबारा करता ही नहीं। बुद्ध एक दफा पैदा कर दिए, बात खत्म हो गई। महावीर एक दफा पैदा किये, बात खत्म हो गई। इस पृथ्वी पर खोजने से एक कंकड़ भी आप दूसरे कंकड़ जैसा न खोज पायेंगे, आदमी तो बहुत बड़ी बात है। आप झाड़ का एक पत्ता तोड़ लें तो उसी झाड़ पर दूसरा पत्ता वैसा न खोज पायेंगे, आदमी तो बहुत बड़ी बात है; आदमी तो बहुत ही जटिल चेतना का विकास है। ___ यहां प्रत्येक आदमी एक शिखर है। और किसी आदमी को यह हक नहीं कि वह किसी का अनुसरण करे। इसका यह मतलब नहीं है कि वह महावीर को समझे न। सच तो यह है कि अनुयायी ही नहीं समझता कभी भी, अनुयायी को समझने की जरूरत ही नहीं होती। असल में जिसको पीछा करना है, वह समझने से बचने के लिए ही पीछा करता है। वह समझने की झंझट में नहीं पड़ता। समझना तो उसे पड़ेगा, जिसे किसी का पीछा नहीं करना है। पीछा तो अपना ही करना है, लेकिन दूसरों ने भी अनुभव लिए हैं। दूसरों की जिंदगी में भी संगीत प्रगट हुआ है। दूसरों ने भी छुआ है जीवन का तार। और दूसरों ने भी जलाए हैं दीये ज्ञान के, प्रज्ञा के। और दूसरों की जिंदगी में भी सुवास उठी है आत्मा की। और दूसरों की जिंदगी में भी नृत्य घटा है परमात्मा का। उनको वह समझने जा रहा है।
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ज्यों की त्यों धरि दीन्हीं चदरिया
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