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________________ आदमी कभी भी विकसित नहीं हो सकता। उसने अविकास के सारे उपकरण चुन लिये। __ लेकिन सदा हमें यहीं समझाया जाता रहा है कि किसी का अनुकरण करो, किसी जैसे बनो। यह बड़ी खतरनाक शिक्षा है। दुनिया में कोई कभी किसी जैसे' नहीं बन सकता है। आज तक बना नहीं, उदाहरण नहीं है। महावीर के पीछे बहुत लोग चले, लेकिन कौन महावीर बन सका है? ऐसा नहीं कि चलनेवालों ने कुछ कम कोशिश की है। यह दोष नहीं थोपा जा सकता। बड़ी कोशिश की है। कई बार तो ऐसा लगता है कि महावीर के पीछे चलनेवालों ने महावीर से भी ज्यादा कोशिश की है। सच तो यह है कि महावीर को महावीर होने में कोई कोशिश नहीं करनी पड़ती। वह स्पांटेनियस है। प्रत्येक को स्वयं होने में कभी बहुत कोशिश नहीं करनी पड़ती, दूसरा होने में ही कोशिश करनी पड़ती है। एफर्ट जो है, कोशिश जो है, वह दूसरा होने में ही करनी पड़ती है। राम की सीता चोरी चली गई, तो राम को रोने में कोशिश नहीं करनी पड़ी। लेकिन रामलीला में जो राम होता है, उसको करनी पड़ती है, आंसू तो आते नहीं। हो सकता है स्टेज के पीछे से पानी लगाकर आता हो! हो सकता है हाथ में मिर्च लगाए रहता हो। जब सीता खोती हो तो जल्दी आंख मीचने लगता हो, क्योंकि जल्दी आंसू लाने पड़ते हैं। और इतना आसान नहीं है रामलीला में आंसू लाना, आंसू लाने पड़ते हैं। क्या राम को भी आंसू लाने का ऐसा उपाय करना पड़ा होगा? नहीं, राम के लिए जो है वह स्पांटेनियस है, वह सहज है। राम की वह अंतर-अवस्था है। महावीर का त्याग, महावीर की नग्नता, महावीर के लिए सहजता है। दूसरा आदमी नग्न होने की व्यवस्था से नग्न हो सकता है। लेकिन तब उसकी नग्नता सर्कस की नग्नता होगी, संन्यासी की नग्नता नहीं हो सकती। वह सिर्फ उधार, बारोड, दूसरे का थोपा हुआ होगा। वह ज्यादा से ज्यादा महावीर का ऐक्ट कर सकता है। महावीर नहीं हो सकता। ___ जीसस, या बुद्ध, या कृष्ण, या राम इनके पीछे चलनेवाले लोग अभिनय कर रहे हैं। इन्होंने ऑथेंटिक, प्रामाणिक आत्मा को इनकार कर दिया है। ___ एक बात ध्यान रखनी जरूरी है कि परमात्मा ने प्रत्येक को स्वयं के होने का हक दिया है। और जो आदमी अपने इस हक को छोड़ता है, वह परमात्मा की सबसे बड़ी देन को छोड़ता है। ऐसा आदमी नास्तिक है। ऐसा आदमी यह कह रहा है कि तुमने हम पर बहुत बड़ी जिम्मेवारी दे दी। हम इस योग्य न थे। हमें तो किसी के पीछे चला दो। हम इंजन नहीं हो सकते, हम तो सिर्फ डिब्बे होने लायक हैं जो इंजन के पीछे लगे रहें और उनकी सेंटिंग इधर से उधर होती रहे। तो वह अपनी जिंदगी गुजार लेगा। __ नहीं, प्रत्येक आदमी स्वयं होने को पैदा हुआ है-बेजोड़, यूनीक। उस जैसा कोई आदमी इस पृथ्वी पर न पहले हुआ है और न पीछे होगा। परमात्मा कोई मिडियाकर क्रियेटर नहीं है। वह कोई मध्यम-वर्गीय या साधारण कोटि का स्रष्टा नहीं है कि एक ही आदमी को फिर दुबारा पैदा करे। वह रोज नये आदमी को पैदा कर देता है! मैंने सुनी है एक कहानी। मैंने सुना है कि पिकासो का एक चित्र किसी आदमी ने खरीदा, अपरिग्रह (प्रश्नोत्तर) 179 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004032
Book TitlePanch Mahavrat Pravachan aur Prashnottari - Jyo ki Tyo Dhari Dinhi Chadariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year2012
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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