SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 131
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ परिवर्तन हो गए। आपका शरीर वही नहीं है। शरीर ने इकट्ठे किए हुए विष छोड़ दिए खून में। अब आप होश में नहीं हैं। क्रोध टेम्प्रेरी मैडनेस है। क्रोध अस्थायी पागलपन है। और इसलिए आदमी क्रोध में ऐसे काम कर लेता है, जो उसने स्वयं कभी भी न किए होते। इसलिए क्रोध में आदमियों ने हत्याएं की हैं और पीछे जीवन भर रोए हैं, पछताए हैं। और जिंदगी भर कहा है कि यह मैंने कैसे कर लिया? यह मेरे बावजूद हो गया। यह मैंने नहीं किया। यह कैसे हो गया? क्रोध में हम सब ने वह किया है, जो हमने करना नहीं चाहा था। फिर वह किसने किया है? निश्चित किया हमने ही है, लेकिन वैसे ही किया है जैसे शराब पीकर कोई कर लेता है। लेकिन यह शराब हमारे खून में भीतरी स्रोतों से आती है, इसलिए पता नहीं चलता; शराब हम बाहर की बोतलों से ले जाते हैं तो पता चल जाता है, यह शराब भीतरी स्रोतों से आती है तो पता नहीं चलता। मनुष्य के शरीर ने लाखों-करोड़ों वर्षों की यात्रा में विषग्रंथियां इकट्ठी की हैं जो कि इमरजेंसी के लिए जरूरी रही हैं; जब वह जानवर था, पशु था, तब बहुत जरूरी रही हैं। एक शेर हमला कर दे किसी पर, तो उसके पास दौड़ने की अमानवीय क्षमता तत्काल पैदा होनी चाहिए। ऐसा नहीं कि वह दौड़ने का अब अभ्यास करेगा, और दौड़ना सीखेगा, और तब भाग सकेगा। नहीं, यह इमरजेंसी है, तत्काल उसके शरीर में इतना पागलपन आ जाना चाहिए कि वह होश छोड़कर भाग सके। क्योंकि अगर होश रखा तो शायद बचना मुश्किल होगा। इसलिए शरीर ने लाखों वर्षों की यात्रा में विषग्रंथियां विकसित की हैं, जो कि इमरजेंसी की हालत में खून में तत्काल, ऑटोमैटिकली छूट जाती हैं, और आप विक्षिप्त होकर दौड़ सकते हैं। __ भय में आदमी कांप रहा है। यह कंपन रासायनिक परिवर्तन है। काम की वृत्ति से पीड़ित हुए आदमी के भीतर अनेक तरह के रासायनिक परिवर्तन हो जाते हैं। अगर जानवरों को काम की, सेक्स की उन्माद-स्थिति में देखें तो एक अनुभव होगा, जो कुछ मनुष्यों में अभी भी शेष है। उनके शरीर से विभिन्न प्रकार की दुर्गंधे या गंधे निकलनी शुरू हो जाती हैं। असल में पश पहचानते ही तब हैं कि उनकी मादा तत्पर है संभोग के लिए, जब एक विशेष गंध उसके शरीर से निकलनी शुरू हो जाती है। संभोग के क्षण में मनुष्य के शरीर से भी, स्त्रियों के शरीर से भी विशेष गंधे निकलनी शुरू हो जाती हैं। क्योंकि शरीर एक रासायनिक परिवर्तन से गुजर रहा है। ___ मनुष्य के चित्त में जो होता है, तत्काल उसके शरीर की केमिस्ट्री उसका पीछा करती है। जब आप भोजन लेते हैं, तब आपका शरीर उन द्रव्यों को छोड़ देता है, जो भोजन के पचाने के लिए जरूरी हैं। और जब आप हिंसा से भरते हैं, तो शरीर उन द्रव्यों को छोड़ देता है, जो हिंसा करने में सहयोगी हो सकते हैं। इसलिए हिंसा केवल मानसिक तथ्य नहीं है, बायोकेमिकल तथ्य भी है। लेकिन, रासायनिक तत्व भी है, जब मैं यह कहता हूं, तो मैं यह नहीं कहता हूं कि केवल रासायनिक अहिंसा (प्रश्नोत्तर) 119 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004032
Book TitlePanch Mahavrat Pravachan aur Prashnottari - Jyo ki Tyo Dhari Dinhi Chadariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year2012
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy