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सिगरेट नहीं पीता है वह साधु। यह करता है, यह नहीं करता। महावीर ने कहा, 'सुत्ता अमुनि', जो सोया हुआ जीता है वह असाधु है। बड़ी हिम्मत की, बड़ी गहरी, बड़ी समझ की बात है।
सिर्फ एक छोटे से सूत्र पर सब-कुछ निर्भर होता है। आप जाग कर जी रहे हैं या सो कर जी रहे हैं। अगर आप जाग कर जी रहे हैं, आपकी जिंदगी में साधुता उतर आयेगी। अगर आप सोकर जी रहे हैं, आपकी जिंदगी में असाधुता के सिवाय और कुछ भी नहीं हो सकता। आप सोये-सोये भी साधु बन सकते हैं, वह बना हुआ साधु होगा। और बने हुए साधु, असाधुओं से भी बदतर हालत में हो जाते हैं। क्योंकि उनको यह भ्रम पैदा हो जाता है कि वह साधु हैं। और जब असाधु को यह भ्रम पैदा हो जाये कि वह साधु है, तब जनम-जनम लग जायेंगे इस भ्रम से छूटने में।
अप्रमाद साधना का सूत्र है। अप्रमाद साधना है। चार दिन जो बात मैंने आपसे की। अहिंसा-वह परिणाम है, हिंसा स्थिति है। अपरिग्रह-वह परिणाम है, परिग्रह स्थिति है। अचौर्य-वह परिणाम है, चोरी स्थिति है। अकाम-वह परिणाम है, कामवासना या कामना स्थिति है। इस स्थिति को परिणाम तक बदलने के बीच जो सूत्र है, वह है-अप्रमाद, अवेयरनेस, रिमेंबरिंग, स्मरण।
प्रत्येक क्रिया स्मरणपूर्वक हो और प्रत्येक क्रिया होशपूर्वक हो। और एक भी क्रिया ऐसी न हो जो कि बेहोशी में हो रही हो। बस, आपकी धर्म-यात्रा शुरू हो जाती है। आप नीचे उतरने लगेंगे और सूत्र वही रहेगा। जब नीचे के दूसरे खंड में पहुंचेंगे तब उसकी क्रियाओं के प्रति फिर अप्रमाद। जब उसकी पूरी क्रियाओं के प्रति जाग जायेंगे तो और नीचे पहुंचेंगे उसके प्रति अप्रमाद। और जितने नीचे पहुंचेंगे उतने ऊपर पहुंचते चले जायेंगे। जिस दिन कोई अपने पाताल की आखिरी पर्त को छू लेता है, उसी दिन अपनी आत्मा की आखिरी अमृत की पर्त उसे उपलब्ध हो जाती है। _____ जायें पाताल में, ताकि पहुंच सकें मोक्ष में! उतरें गहरे, ताकि छू सकें ऊंचाई को! छुएं नरक को, ताकि उपलब्ध हो सके स्वर्ग! जायें अंधकार में गहरे और गहरे ताकि प्रकाश को पाने की पात्रता मिल सके। अप्रमाद से...और अप्रमाद के अतिरिक्त और किसी बात से यह संभव नहीं होता है। दुनिया में चाहे कहीं भी कुछ भी कहा गया हो, चाहे जिसने कुछ कहा हो-चाहे बुद्ध ने, चाहे महावीर ने, चाहे कृष्ण ने, वह सबका सब, अप्रमाद जैसे छोटे से शब्द में समा जाता है।
कृष्ण कहते हैं, नींद में भी जागो। जीसस कहते हैं, जागे रहो। क्योंकि पता नहीं वह कब आ जाये। ऐसा न हो कि तुम सोये रहो और वह आये परमात्मा, और तुम्हें सोया पाये
और लौट जाये। जागो और प्रतीक्षा करो। बी अवेयर एंड अवेटिंग। जीसस की सारी बातचीत इसी सूत्र पर घूमती है कि जागो और प्रतीक्षा करो। और महावीर की पूरी जिंदगी का प्रवचन एक ही बात को बार-बार दोहराता है-होशपूर्वक, विवेकपूर्वक, अप्रमाद से जीओ, मूर्छा में नहीं।
अप्रमाद
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