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________________ इन छोटी-छोटी क्रियाओं के प्रति जागना शुरू करना पड़ेगा। पहले उन क्रियाओं से शुरू करें, जो बहुत इनोसेंट हैं। जिनमें कोई ज्यादा झगड़ा नहीं है, बहुत निर्दोष हैं। रास्ते पर चल रहे हैं, खाना खा रहे हैं, स्नान कर रहे हैं, कपड़े पहन रहे हैं, इन बहुत छोटी क्रियाओं से शुरू करें जिनमें बहुत इनवॉल्वमेंट नहीं है, जिनमें बहुत ग्रसित नहीं हैं। हां क्रोध के प्रति जागना जरा गहरे में जाना होगा। यह उथले में है। अभी कपड़ा पहन रहे हैं, जागे हुए पहनें, बहुत हैरान हो जायेंगे। जागे हुए जूते पहनें, बहुत हैरान हो जायेंगे। अजीब लगेगा कि यह कैसी फीलिंग है, यह कैसा अनुभव है, यह तो कभी नहीं हुआ, जूते तो रोज पहनते हैं। ___ अभी मुझे सुन रहे हैं, सोये हुए सुन सकते हैं, जागे हुए सुन सकते हैं। जब मुझे सुन रहे हैं तो सिर्फ मुझे सुनें ही मत, सुन रहे हैं इसे भी जानते रहें। सिर्फ अगर मुझे सुन रहे हैं और उसको भूल गये जो सुन रहा है तो आप सोये हुए हैं। यह जो तीर है चेतना का, डबल ऐरोड होना चाहिए। दोहरे तीर होना चाहिए इसमें। एक तरफ, मेरी तरफ जो मैं बोल रहा हूं और एक अपनी तरफ जो सुन रहा है। अगर आपकी चेतना इस क्षण में भी दोनों तरफ हो जाये-सुने भी और यह भी जाने कि सुन रहे हैं तो आप फौरन अनुभव करेंगे कि सुनने की क्वालिटी बदल गयी। अभी यहीं अनुभव करेंगे कि सुनने का गुणधर्म बदल गया, तब विचार न सकेंगे। तब सिर्फ सुन सकेंगे, क्योंकि अगर विचारा तो दूसरा तीर खो जायेगा। वह जो आपकी तरफ जाने वाला तीर है। अगर सिर्फ सुन रहे हैं, अगर सिर्फ देख रहे हैं, तो आपकी चेतना में अभी परिवर्तन शुरू हो जायेगा, नींद टूटने लगेगी और जागरण की किरण आने लगेगी। ____ छोटी-छोटी क्रियाओं में जागना शुरू कर दें। फिर उन क्रियाओं में जागें जिनके लिए पछताना पड़ता है। क्रोध के लिए, घृणा के लिए, अभद्रता के लिए, उनके लिए जागना शुरू करें। अगर आप अपने जागने में सुबह से उठ कर सांझ तक जागने का प्रयोग करें तो थोड़े ही दिनों में आप एकदम दूसरे आदमी हो जायेंगे। आपका प्रमाद जागने में टूट जायेगा। और इसका सबूत क्या होगा कि आपका जागने में प्रमाद टूट गया? इसका सबूत यह होगा कि नींद में भी आपका जागरण शुरू हो जायेगा। जिस दिन आपकी जागरण में नींद टूटेगी उसी दिन आप नींद में भी कांशसली, सचेतन प्रवेश कर सकेंगे। __कितने मजे की बात है, हम रोज सोते हैं, हजारों बार सोये हैं, लेकिन हमें यह पता नहीं कि नींद क्या है? कब आती है? आप रोज सोते हैं, कितनी बार सोये हैं; लेकिन आपको पता है, नींद कब आती है? और कैसे आती है? और क्या है? नहीं, कुछ पता नहीं हमको। हमें सिर्फ इतना ही पता है कि कब तक हम जागे थे, बारह बजे रात तक जागे थे। फिर नींद कब आयी, किस क्षण में आयी, कैसे आपके ऊपर छा गयी, कैसे आप उसमें डूब गये, इसका आपको कभी पता हुआ है? इसका कोई पता नहीं। जिंदगी भर सोयेंगे। साठ साल आदमी जीता है तो बीस साल सोता है। इतनी बड़ी घटना जिसको बीस साल करनी पड़ती है, इसका भी हमें कोई परिचय नहीं होता कि सोने का अर्थ क्या है? यह सोना क्या है? यह नींद क्या है? क्या घटना घटती है मेरे भीतर? अप्रमाद 101 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004032
Book TitlePanch Mahavrat Pravachan aur Prashnottari - Jyo ki Tyo Dhari Dinhi Chadariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year2012
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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