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लौटता है कि आज पत्नी से झगड़ा नहीं करना है । सब बातें तय करके लौटता है कि इस तरह व्यवहार करना है, यह कहना है, इस तरह प्रेम प्रकट करना है। पत्नी दिन भर में तय करके रखती है कि अब कल वाली सांझ फिर से न दुहर जाये । वह नहीं करना है, जो कल किया था। फिर अचानक जब वे दोनों आमने-सामने आते हैं तब पता चलता है कि कल की सांझ फिर वापस लौट आयी। जो तय किया था वह खो जाता है, जो नहीं तय किया था वह फिर हो जाता है। यह आदमी सोया हुआ आदमी है कि जागा हुआ आदमी है ? नहीं, यह हमारी सोयी हुई अवस्था है।
महावीर ने इसे प्रमाद कहा है। प्रमाद अर्थात सोये हुए होना । यदि यह स्मरण आ जाये कि मैं सोया हुआ हूं तो खोज शुरू हो सकती है। इसलिए अप्रमाद का पहला सूत्र है इस बात की समझ कि मैं सोया हुआ हूं, टु बी अवेयर ऑफ वन्सस्लीप । वह जो नींद है, उसका पहला बोध और समझ लें कि जिस दिन आपको यह पता चल जाये कि आप सोये हुए हैं तो फिर सुबह करीब है। क्योंकि यह पता तभी चल सकता है जब नींद टूटने लगे।
नींद को तोड़ने का पहला सूत्र है, नींद को ठीक से पहचान लेना । यह आपसे पहला सूत्र कहता हूं कि आप सोये हुए आदमी हैं, इसे ठीक से समझ लेना। चाहे आप दुकान करते हों तो सोये हुए करते हैं, चाहे मंदिर जाते हों तो सोये हुए जाते हैं, चाहे मित्रता करते हों तो सोये हुए, चाहे शत्रुता करते हों तो सोये हुए। नींद हमारी चौबीस घंटे की स्थिति है।
दूसरी बात, अब इस सोये हुए होने का अनुभव हो जाये, पता चल जाये - और धार्मिक आदमी की शुरुआत इसी बात से होती है कि मैं प्रमादी हूं, इसका उसे अनुभव हो जाये। नहीं, लेकिन कुछ प्रमादी धर्म को भी नींद में साधते रहते हैं । मालाएं फेरते रहते हैं और झपकियां लेते रहते हैं। मंदिर में बैठे रहते हैं और झपकी लेते रहते हैं । व्रत करते रहते हैं और सोये रहते हैं। जैसे वे दुकान करते हैं, वैसे व्रत भी कर लेते हैं। सोये-सोये सब चलता रहता है। धर्म भी सोये-सोये हो जाता है। धर्म सोये-सोये नहीं हो सकता। सोये-सोये सिर्फ अधर्म हो सकता है। इसलिए धर्म के नाम पर भी अधर्म ही होता है। सोया हुआ आदमी धर्म के नाम पर भी अधर्म ही करता है। वह धर्म कर ही नहीं सकता । यह असंभव है। सोये हुए आदमी से धर्म का कोई संबंध नहीं हो सकता । नींद धर्म में नहीं ले जा सकती, नींद अधर्म में ही ले जाती है।
स्मरण आ जाये कि मैं सोया हुआ हूं तो क्या किया जाये ?
पहला सूत्र, सोये हुए होने का स्मरण । दूसरा सूत्र, इस नींद को तोड़ने के लिए क्या किया जाये ? कौन - सा उपाय है ?
और ध्यान रहे, जो आदमी अपनी इस मंजिल की नींद को तोड़ दे, वह इसके नीचे की मंजिल की सीढ़ियों पर पहुंच जाता है, अपने आप | अगर कोई आदमी चेतन मन में जाग जाये तो अचेतन में उतर जाता है। अचेतन में उतरने का सूत्र चेतन मन में जाग जाना है। जैसे कि हम नींद में जाग जायें तो हम जागरण में उतर जाते हैं। चित्त-दशा फौरन बदल जाती है। एक आदमी को नींद में हमने हिला दिया। वह जाग गया तो नींद गयी और जागना शुरू हो
ज्यों की त्यों धरि दीन्हीं चदरिया
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