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________________ कहानी का क्या करेगा और कुछ...? नहीं, मार्क ट्वेन समझ नहीं पा रहा। असल में मार्क ट्वेन ने जिस वक्त चाहा था कि पात्र यह करे, वह मार्क ट्वेन ही सोया हुआ है। इसलिए पात्र वही कैसे करेंगे। फिर दूसरा सोया हुआ मार्क ट्वेन कुछ और करवा लेगा, तीसरा कुछ और करवा लेगा। ___ इसलिए कहानी लेखक जो सोचकर कहानी शुरू करता है, वही कहानी कभी पूरी नहीं होती। कहानी कहीं और पूरी होती है। कवि जहां से कविता शुरू करता है, कविता वहीं पूरी नहीं होती। कविता कहीं और पूरी होती है। क्योंकि कांशस आर्ट तो पैदा ही नहीं हुआ। जिसको सचेतन कला कहें वह अभी पैदा नहीं हो पाई। जिसको आब्जेक्टिव आर्ट कहें वह अभी पैदा नहीं हो पाया। अभी तो सोये हुए आदमी कविताएं लिखते हैं। तो कुछ शुरू करते हैं और कुछ हो जाता है। सोये हुए आदमी चित्र बनाते हैं, कुछ बनाना चाहते हैं कुछ बन जाता है। सोये हुए आदमी कहानियां लिखते हैं, कुछ लिखना चाहते हैं कुछ लिख जाता है। सोये हुए राजनीतिज्ञ दुनिया चलाते हैं, कुछ करना चाहते हैं, कुछ हो जाता है। सोये हुए आदमी के साथ भरोसा नहीं है। लेकिन कहानी की बात छोड़ दें। जिंदगी में आप जो बनना चाहते थे वह बन पाये? शायद ही दुनिया में एकाध आदमी मिले जो कहे, मैं वही बन गया जो बनना चाहता था। सब आदमी कुछ बनना चाहते हैं। पहली तो बात यह भी साफ नहीं होती कि क्या बनना चाहते हैं। क्योंकि नींद में कैसे साफ हो सकता है ? पता ही नहीं चलता। एक धीमी-सी, सोयी-सी आकांक्षा होती है कि मैं यह बनना चाहता हूं। लेकिन कहीं यह बहुत साफ नहीं होता है कि क्या बनना चाहता हूं। हालांकि यह जरूर पता लगता रहता है कि मैं वह नहीं बन पा रहा हूं जो मैं बनना चाहता था। और जब जिंदगी अंत होती है तो शायद ही कोई आदमी यह कह सके कि मैं वही बनकर जा रहा हूं जो मैं बनना चाहता था। नहीं, सभी आदमी कहीं और पहुंच जाते हैं; जहां वे कभी नहीं पहुंचना चाहते थे। कुछ और बन जाते हैं, जो वे कभी बनना नहीं चाहते थे। जिंदगी कुछ और ही होती है जो कभी नहीं चाहा था उन्होंने कि हो। अगर आप को ऐसा लगे तो समझना कि आप सोये हुए आदमी हैं। मरते वक्त लगे तो फिर बहुत उपाय न रह जायेगा। अभी लगे तो कुछ उपाय हो सकता है। मरते वक्त सभी को लगता है कि जिंदगी बेकार गयी। जो होना चाहते थे वह नहीं हो पाये। हालांकि मरता हुआ आदमी भी साफ-साफ नहीं कह सकता कि क्या होना चाहते थे। लेकिन इतना जरूर उसे लगता है कि कुछ चूक गया कहीं, समथिंग मिसिंग। कुछ खो गया। आपको भी लग रहा होगा। जिसमें भी थोड़ी बुद्धि है, उसे लगता है कि कोई चीज मिस हो रही है, खो रही है। कोई चीज नहीं हो पा रही है। वही फ्रस्ट्रेशन है, वही दुख है, वही चिंता है, वही पीड़ा है। आदमी की परेशानी यही है, कि प्रेम से वह जो पाना चाहता है, वह पाता है कि वह नहीं मिल पाया। प्रेम में जो करना चाहता है, पाता है कि वह कर ही नहीं पाया। आप तय करके जाते हैं किसी मित्र के घर कि यह-यह बातें करूंगा। जब आप पहंचते हैं तो आप पाते हैं कि आप कुछ और बातें कर रहे हैं। पति घर लौटता है तो यह तय करके अप्रमाद 97 www.jainelibrary.org Jain Education International For Personal & Private Use Only
SR No.004032
Book TitlePanch Mahavrat Pravachan aur Prashnottari - Jyo ki Tyo Dhari Dinhi Chadariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year2012
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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