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शब्द है, हम कहते हैं कि फालिंग इन लव! शब्द उपयोग करते हैं, फालिंग; शब्द उपयोग करते हैं, प्रेम में गिर जाना। प्रेम में उठ जाना होना चाहिए। राइजिंग इन लव! लेकिन प्रेम में लोग गिरते हैं। उसका कारण है। शब्द ठीक है। शब्द इसलिए ठीक है कि प्रेम हम करीबकरीब सोयी हुई हालत में करते हैं। मूर्च्छित हो जाते हैं।
इसलिए अक्सर प्रेमी कहते हैं कि यह प्रेम मैंने किया नहीं, हो गया! हो गया का क्या मतलब है? नींद में चीजें होती हैं, जागने में की जाती हैं। आपने प्रेम किया है, या हो गया है? अगर हो गया है तो आप बेहोश आदमी हैं, सोये हुए आदमी हैं। आपका प्रेम आपका नहीं है, किसी अचेतन मार्ग से आया है। जब आप क्रोध करते हैं तो आप करते हैं या हो जाता है ? अगर करते हैं तब तो ठीक, लेकिन अगर हो जाता है तो फिर आप जागे हुए आदमी नहीं, सोये हुए आदमी हैं। ___ हम जो भी कर रहे हैं, उसके हम कर्ता हैं या वह सब हमारे ऊपर घटित हो रहा है? एक पंखे का बटन हम दबाते हैं, पंखा चलता है। अगर पंखा दूसरे पंखों से कहता होगा तो यह नहीं कह सकता कि मैं चलता हूं। वह इतना ही कह सकता है कि चलना मुझ पर घटित होता है। हम मशीन हैं कि मनुष्य? हम पर चीजें घट रही हैं, या सचेतन रूप से हम उन्हें कर रहे हैं? नहीं, हम कर नहीं रहे, यही हमारा प्रमाद है।
बुद्ध साधक अवस्था के पहले एक गांव से गुजरते थे। रास्ते पर थे। किसी भिक्षु से बात करते थे और एक मक्खी उनके गले पर आकर बैठ गयी। बातचीत जारी रखी और मक्खी को उड़ा दिया। जैसा हम सबने उड़ाया होता। बातचीत जारी रखी, मक्खी को उड़ा दिया। फिर ठहर गये और आंखें बंद कर लीं। मक्खी तो उड़ गई थी, पर वह जो भिक्षु साथ था बहुत हैरान हुआ, और बुद्ध उस जगह हाथ ले गये जहां मक्खी बैठी थी, अब नहीं थी, और मक्खी को फिर से उड़ाया। उसी मक्खी को, जो अब वहां नहीं थी। उस भिक्षु ने पूछा, आप यह क्या कर रहे हैं? मक्खी तो अब नहीं है। बद्ध ने कहा कि नहीं. अब मैं उस तरह उड़ा रहा हूं जैसा मुझे उड़ाना चाहिए था। मैंने बेहोशी में मक्खी उड़ा दी। मैं तुमसे बात करता रहा, हाथ ने यंत्रवत मक्खी को उड़ा दिया। मैं पूरे होश में न था, मक्खी के साथ दुर्व्यवहार हो गया! उड़ा दिया तब मुझे पता चला कि मैंने उड़ा दिया। जब मैं उड़ा रहा था तब मुझे पता ही नहीं था कि मैं उड़ा रहा हूं। तो बुद्ध ने कहा, 'अब मैं उस तरह उड़ा रहा हूं जैसे मुझे उड़ाना चाहिए था। होशपूर्वक, कांशसली।
हम सब सोये हुए लोग हैं, हम जो भी कर रहे हैं वह सोये हुए कर रहे हैं। प्रेम, घृणा, दोस्ती, दुश्मनी, क्रोध, क्षमा, प्रायश्चित, सब सोये हुए हो रहा है। अगर हम अपनी जिंदगी का पूरा हिसाब लगायें तो वह हमें स्वप्न जैसी मालूम पड़ेगी। जिंदगी जैसी नहीं मालूम पड़ेगी। अगर आप लौट कर पीछे की तरफ देखें जितनी जिंदगी आपकी गुजर गयी तो वह ऐसी नहीं लगेगी कि जीये आप, वह ऐसी लगेगी जैसे आपको जीया गया। यू हैव बीन लिव्ड। कुछ आपके ऊपर से गुजरता गया है। एक फिल्म की तरह आपके ऊपर से कोई चीज गुजरती गई है। इस अवस्था का नाम प्रमाद है-मैन एस्लीप। रात की नींद की बात
अप्रमाद
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