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है सुपर-कांशस, अति-चेतन। उसके ऊपर एक मंजिल है जिसको कहें कलेक्टिव कांशस, समष्टि चेतन। और उसके भी ऊपर एक मंजिल है जिसे कहें कॉस्मिक कांशस, ब्रह्म-चेतन। जहां हम हैं उसके ऊपर तीन मंजिलें हैं और उसके नीचे भी तीन मंजिलें हैं। यह मनुष्य का सात मंजिलों वाला मकान है। लेकिन हममें से अधिक लोग चेतन मन में ही जीते और मर जाते हैं।
आत्मज्ञान का अर्थ है, इस पूरी सात मंजिल की व्यवस्था से परिचित हो जाना। इसमें कुछ भी अपरिचित न रह जाये, इसमें कुछ भी अनजाना न रह जाये। क्योंकि इसमें यदि कुछ भी अनजाना है तो मनुष्य अपना मालिक, अपना सम्राट कभी भी नहीं हो सकता। जो अनजाना है वही उसकी गुलामी है। वह जो अज्ञात है, वह जो अंधकार पूर्ण है, वही उसका बंधन है। वह जो नहीं जाना गया, वह नहीं जीता गया है। अज्ञान ही हार है और ज्ञान ही विजय की यात्रा है।
___ इस सात मंजिल के भवन में हम सिर्फ एक मंजिल को जानते हैं जिसमें हम अपने को पाते हैं, जहां हम हैं। इस मंजिल में ही जीते रहने का नाम प्रमाद है। इस मंजिल में ही बने रहने का नाम प्रमाद है। प्रमाद का अर्थ है-मूर्छ । प्रमाद का अर्थ है-बेहोशी। प्रमाद का अर्थ है-निद्रा। प्रमाद का अर्थ है-तंद्रा। प्रमाद का अर्थ है-सम्मोहित अवस्था, हिप्नोसिस। हम इस एक मंजिल से इस तरह हिप्नोटाइज हो गये हैं, हम इस एक मंजिल से इस तरह सम्मोहित हो गये हैं कि हम इधर-उधर देखते ही नहीं। हमें पता भी नहीं चल पाता है कि हमारे व्यक्तित्व में, हमारे जीवन में, हमारे होने में और भी बहुत फैलाव है। ___ साधना का अर्थ है, इस प्रमाद को तोड़ना, इस मूर्छा को तोड़ना। स्वभावतः इसे मूर्छा क्यों कहें? इसे प्रमाद क्यों कहें? एक आदमी के पास सात मंजिल का मकान हो और वह एक ही मंजिल में रहता हो और उसे दूसरी मंजिलों का पता न चले तो हम क्या कहेंगे? क्या वह आदमी जागा हआ है? यदि वह आदमी जागा हआ है तो उसके बाकी मंजिलों से अपरिचित रहने की संभावना नहीं है। हां, यही हो सकता है कि एक आदमी अपने मकान की एक ही मंजिल से परिचित हो और छह मंजिलों से अपरिचित हो। यह तभी संभव है जब वह एक मंजिल में सोया हुआ हो, अन्यथा उसे पता चलना शुरू हो जायेगा। हम सोये हुए लोग हैं, इसलिए हम जहां हैं वहीं जी लेते हैं। हमें कुछ और पता नहीं चलता।
पश्चिम का मनोविज्ञान अभी तक इतना ही मानता था कि यह जो चेतन मन है. यह जो कांशस माइंड है, यही मनुष्य है। लेकिन जैसे-जैसे उन्होंने सोच-विचार किया, थोड़ी खोजबीन की तो फ्रायड को पहली दफा अनुमान आना शुरू हुआ कि नीचे कुछ और भी है। चेतन ही सब-कुछ नहीं है, कुछ और नीचे है, और वह ज्यादा महत्वपूर्ण मालूम हुआ। अनकांशस की खोज फ्रायड ने की। अचेतन की खोज की और पश्चिम के मनोविज्ञान ने दो बातें स्वीकार कर लीं, चेतन-मन और अचेतन-मन।
लेकिन फ्रायड की खोज अनुमान है, अनुभव नहीं। अनुभव साधना के बिना नहीं हो सकता। अपनी मंजिल में रहते हुए हमें कभी-कभी शक हो सकता है, नीचे की कुछ आवाज
ज्यों की त्यों धरि दीन्हीं चदरिया
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