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रे प्रिय आत्मन् !
मे
मनुष्य एक सात मंजिला मकान है, ए सेवन-स्टोरी हाउस, लेकिन हम एक मंजिल में ही जीते और मर जाते हैं। पहले उन सात मंजिलों के नाम आपको समझा दूं । जिस मंजिल में हम जीते हैं, उस मंजिल का नाम कांशस, चेतन है । उस मंजिल के ठीक नीचे दूसरी मंजिल है, जो तलघरे में है, जमीन के नीचे है, अंडरग्राउंड है। उस मंजिल का नाम है अनकांशस, अचेतन । उस मंजिल के भी और नीचे पाताल की तरफ तीसरी मंजिल है, उसका नाम है कलेक्टिव अनकांशस, समष्टि अचेतन। और उसके नीचे भी एक चौथी मंजिल है, और भी नीचे, सबसे नीचे, उस मंजिल का नाम है, कॉस्मिक अनकांशस, ब्रह्मअचेतन। जिस मंजिल पर हम रहते हैं उसके ऊपर भी एक मंजिल है, उस मंजिल का नाम
अप्रमाढ़
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