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जयवंत सूरिकृत
पाय,
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जणि पुरि मानिनी चमकति चल्लइ, राणणि नेपुर लड सडति मदन गहेलडी, गति चित्त मयगलराय ... दुपद्... जिहां करति मंदिर वाद, जिहां सप्तभूमि- प्रासाद, सुंदर जन नयन-नलीनी सविकासि, शत चंद्र किस आकासि. ४३ लडसडत करति टकोल, मुख भरित सार तंबोलि, कंठ कुसुमह - मालिका, सोल वरसी बालिका. ४४ जि वणिग खेलति सोगठे, दाह देवति अति हठे, हट्टउलि सुदीस अ वणिग बइठा हींस अ ४५ जि. विमल - जल भरि वापिका, नींर आणति बालिका, चालि खलकति मेखला, रसिक निरखति विवला. ४६ जि. अवर मेरु महि-तलि, सकल सुन्दर झलहलइ, केतु चंचल लहलहइ, वर पेखतां मन गहिगहइ. ४७ जि. चरण गुण-मणि संजुआ, सहि जि सोहग संजया, छात्रबुद्धि गणित अंक
उत्तंग तोरण गगन सरिसु, चपट्ट चिह्न दिसि मालीयां, ससि वयणि खेल्लति रसिक, अ चतुर मांनत्र चित्ति चितइ, व्यवहारि नंदन चतुर चल्लइ, कर-ग्रहित अंगुलि अकमेकिं, किंहिं करत नाटक गीत गावति, डोलि तिरास देवति, जिहां चतुर चउकीपट्टि चहुटई, मनगमत लंखति सारपासा, कुरुविंद चित्रित साहामा साहामी, इसीअ च्यारिति चतुर चहुटइ, आवास-अंगण सजल- कूआ, रणकंति नेउर कनक - कलशिं, मलपंत मनसिज मत-मयगल, चमकती मचकु नयन दाखति, जिहां कनक - कलस त्रितय मंडित, जिनमूर्ति मनोहर देव मन्दिर, प्रासाद ऊपरि कनक- दंडिं, धज पुज मंगल आरती, जिहां वसति वसतिं नागदंसण, अत्राण बोहग कम्म सोहग, जिहां पठति विद्या लेखशालिं, एक भगति माइ वर्ग मांइ, किंहा करत शास्त्राभ्यास राउत, शास्त्र चर्चा व्याकरण-विद्या गीत-नाटक, वेद-वाद किहिं करति कर्कश तर्क - चर्चा, काव्य संगीत नाटक सत्य साहित, चतुर
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जिहां दान-मंडित हस्त-मस्तक, विविध भोग
राजमंदिर
चमकत चहुइ चतुर चल्लइ, बिहु पक्षि निर्मल पद्मिनी - वर, जिनियरि निवसति रसिक मानव,
सारदा, विशारदा. ४८ जि. पंडिता,
अखडिता,
प्रश्न- प्रहेलिका,
चंपूमालिका. ४९ जि.
परिमल
प्रेम विमल - सरवरि
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सुबंधुरा,
सिंधूरा,
मंजुला,
हंसली. ५० जि.
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