SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 70
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (५९) विशेषण विशेषणोमां अविकारी अने विकारी अंगोना नामनी जेम ज रूपो मळे छे. आमांना अविकारी अंगना विशेषणो विशेष्यनी पूर्वे अने पछी कोई जातना फेरफार विना ज प्रयोजाय छे. विकारी अंगनां विशेषणोमां सामान्यतः विशेष्यनां लिंग वचन विभक्ति अनुसार फेरफार थाय छे. विभक्ति पहेली / बीजी एकवचन मोरुं जंतु (७१), झीणउ चंदल (२७८). भगुडडु (१०५३), गुणवंती कामिनी (९५), नीली कांचली (१२०९), मीठी सेलडी (१२०८) त्रीजी / सातमी बारमई दिवसि (७१), महारइ माउलई (३२९) इणि अवसर (११५८), सुनि रानि (८१७). तिणि पुरि (२३३६), गुरूयडि धर्नि (२३५५) संख्यावाचक विशेषणो ; क्रिपापदनां त्रणे कालनां रूप मळे छे. अक (६९), अकि (२३४), अकी (१०२७), अकनू (२०४४) अकइ (२०८), दो (४६२), त्रि (३७३), त्रिहु (१५२९), च्यारि (१२६०) चियारि (११०९), पांच (११४), छ (४६०), नव (६१३), दस (१४५७), पन्नर (३५५), सत्तर (३९६), सहत्र (४५९), लाख (४५९), कोडि (४५९). अर्बुद ( ४५९), क्रमवाचक विशेषणो : प्रथम (४२,२४१६), पहिलू (९९१), पहिल (१२८), बीझ (७८), बीजाउ ( ११७) ० तृतीय (२०७२), चउथ ( ४६२ ) पंचम (४६१), पांचमी (२३८५). दशमी (२२५०). पुरुष १ लो Jain Education International २ जो ३ जो क्रियापद वर्तमान काल - कर्तरि रूप बहुवचन दोहिला वक्ता (१८) राता हाडा (५५८), ऊंचा आंबा (३२४), दाधा रुखडां (२७५) गोरे गालडे (५६९), वणिकने आहरडे (१८३१), अद्देवे बोलडे (२०७६), थाडे दिहडे (२१-२). ए.व. विरम, मु, जोउ लहू', कहू, प्रीसू कहि, आणइ जाणइ करइ, खणइ, अछह, वांछई भिजइ, मई, For Personal & Private Use Only बोलइ कर्मणि रूप मुख्यत्वे श्री.पु. अ.व. अने ब.व.मां मळे छे जेमके, कीजइ ( ६२५ ), संतोखीइ (६२६), हीडीइ ( ६२८), सेवीजइ ( ३३१). ब.व. www.jainelibrary.org
SR No.004029
Book TitleShrungarmanjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanubhai V Sheth
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages308
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy