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भावाने, एनी विरह व्यथाने, मिलननी झंखनाने कुशळताथी निरुपे छे. जेमां केटलीक जग्याओ कविनी कवित्व शक्ति नां पण दर्शन थाय छे.
अरिमर्दन अने अजित सेनन युद्धमां वैरीना पराजय करीने पाछा आवद्यु, अजितसेननुं गृहे आगमन अने अजितसेन अने शीलवतीनुं मिलन, शीलवती द्वारा चारेय मंत्रीओ अंगेनो सर्व वृत्तान्त अजित सेनने जणाववो इत्यादि विगत कवि तीन वेगे जणावी जाय छे.
राजा अरिमर्दन पोताना चारेय मंत्रीओनी करेली निष्फळ शोध, बादमां अरिमर्दन राजानु मंत्रीओनी शोधार्थ अजितसेनना गृहे भोजन निमित्ते आववं, शीलवती द्वारा चारेय मंत्रीओने रसोइ अर्पता 'यक्षो' तरीके रज करवा, अनाथी प्रभावित थयेला राजा द्वारा ‘यक्षो'नी मागणी करवी, अजितसेन द्वारा चारेय मंत्रीओने एक काष्टमंजूषामां पूरी राजसभामां रवाना करवा, राजसभामा चारेय मत्रीओर्नु हास्यापद स्थितिमा 'छता' थवु, सर्व वृत्तान्त जाणी राजाने शीलवतीना शीलनी खातरी थवी, शीलवती द्वारा चारेय मंत्रीओ पासेथी पूर्फ लीधेल धन पार्छ आपवु अने तेओने परस्त्रीनेा नियम' आपवो इत्यादि विगतो कवि संक्षिप्तताथी रजु करीने काव्यने झडपी अंत तरफ दोरी जाय छे. वच्चे कवि क्यांय थोभता नथी.
आ पछी कवि शीधताथी काव्यने आटोपी ले छे. नगरमां धम घोप मुनिनु आगमन थतां अजितसेन अने शीलवतीनुं अनी वंदनार्थे जवु, अजितसेन वडे पृच्छा करात। मुनिनु अजितसेन अने शीलवतीना पूर्वभवन श्रवण करवाथ। 'जाति स्मरण' थता बन्नेन चारित्र ग्रहण करव, अंते बन्नेनुं बह्मलोकगमन...अम झडपथी काव्यनो अंत आणे छे. काव्यान्ते कवि शीलनी प्रशसा करी, गुरु अने गच्छनी परंपरा वर्णवी, ग्रंथनी प्रशंस्ति करी काव्यनो समाप्ति करे छे.
__शृंगारमंजरीनी पात्र सृष्टि विविधताभरी छे. अमां स्त्रीओ छे. पुरुषो छे अने पशुपंखी जगतनां पात्रो छे. जयवंतसूरि जेटला कथा प्रवाह परत्वे सजाग छे, एटला पात्रनिरूपण परत्वे नथी एम पण क्वचित् लागे छे. कथाना प्रसंगोमां ने रीते पात्रो असतां आवे छे ते रीते ते अमने उपसवा दे छे. ए अंगे काई कारीगरी के कसब विशिष्ट रीते ते प्रयोजता नथी. पण तेम छता केटलाक स्थाने कथा-प्रसंगोमां एमना कवित्वना विनियोग थयेला छे. त्यां त्यां पात्रनी रेखाओ तेजस्वी पण बनी छे. पात्रना हृदयनी सूक्ष्मवृत्तिनां विविध स्पंदन-गति इत्यादिन कविले सारु कही शकाय अवु आलेखन कर्यु छे. पात्रना भावनिरुपणमां कविना कवित्वना उन्मेष जोवा मळे छे.
__ जयवंत सूरिकृत शृंगारम जरीनु महत्त्व आकर्षण वर्णनो छे. जयवंतसूरिना वर्णनेा सामान्यत: संक्षिप्त, सुरेख अने आकर्षक होय छे. थोडीक पंक्तिओमां व्यक्तिनु के प्रसंगनु वर्णन करी, कबि कथात आगळ धपावे छे. तेम छतां एमनु कवित्व, अमनी मनोरम कल्पनालीला, मनोहर अलंकारयोजना इत्यादि एमनां वर्णनामां आपणने जोवा मळे छे. वळी, पूर्वे आपणे जोई गया छीओ तेम-शूगारमंजरीनु प्रसंगी अने विगतो सहित कथानकनु समग्र कलेवर पर पराथी रूढ थयेलु छे. अठले निरूपणमां नावीन्य अने चारुता लाववा कविने पोतानी वर्णनशक्ति-शैलीशक्ति पर सविशेष आधार राखबानो रहे छे, अने आ संदर्भां परंपरा प्राप्त वस्तु परत्वे कवि पोतानी प्रतिभानो कुशळतापूर्वक करेलो विनियोग कवि माटे यशःप्रद छे.
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