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________________ (३९) (२) पतिव्रता पत्नी अने फसावेला आशकोनी कथान्तर्गत कथाप्रकृतिओ के कथाघटको __५. शील-प्रतीक (Chastity Index, कथाघटक-सूची क्रमांक एच' ४३०, कथाप्रकृति क्रमांक ८८८). ६. फसावेल आशका (Entrapped suitors, कथघटक-सूची क्रमांक 'के' १२१८.१.१ -'के' १२१८.३ कथा प्रकृति क्रमांक १७३०). (३) अपतिव्रता पत्नीनी कथान्तर्गत कथाप्रकृतिओ के कथाघटको ७. कुंवारी कन्या के स्त्री के पत्नी के प्रियतमाने भूमिगृह के मीनारा के अन्य स्थानमा पुरुषपरिचयथी विभुख राखवाना हेतु अर्थे केद राखवी (कथाघटक-सूची क्रमांक 'टी' ३८१-कथाप्रकृति क्रमांक ३१०, ५१६). ८. भूमिमार्ग के सुरंग वाटे रक्षित कन्या के सी के पत्नी के प्रियतमाना मिलन अर्थ गमन अने एनी साथे रमण (कथाघटक-सूची क्रमांक 'के' १३४०-'के', १३४४.१०, 'के' १३४९-१०, के' ३१५.०१ अने 'के' १५२३ ). ८. परपुरुष साथे रमण करवा पति के प्रेमीना त्याग करीने के कोइ जलस्थानमां गबडावी दइने परपुरुष सह रमण करनार के पलायन थनार परपुरुषासक्त पत्नी (प्रमदा ) (कथाघटक-सूची क्रमांक 'के' '२२१३.२-'के' २२१२.३२, 'के' १२१३.५ तथा 'टी' २३५.५ कथा प्रकृति क्रमांक ६१२). [नेांध- उपर्युक्त कथाप्रकृतिओ के कथाघटकोनी क्रमानुसार सविस्तर चर्चा हवे पछी प्रगट थनार बीजा खंडमां रजू करवामां आवशे.] ६. 'शृंगारमंजरी' : एक रास तरीके मूल्यांकन कवि जयवंतरिकृत 'शृंगारम जरी चरित्र रास' अने अपरनाम 'शीलवती चरित्ररास' ए शीर्ष को ज दर्शावे छे अम, अक 'रास' छे. 'रास'ना स्वरूप-प्रकार अंगे आ पूर्वे सारा प्रमाणमां चर्चा-विचारणा थई चूकी छे. 'रास' स्वरूपना विविध अंग उपांगोनी चर्चा हो. हरिवल्लभ भायाणी', डा. भोगीलाल सांडेसरा, २ डो. चंद्रकान्त महेता, श्री. डोलरराय मांकड', श्री. के. का. शास्त्री,५ श्री. अनंतराय रावल,' डा. मंजुलाल मजमुदार, श्री. का. ब. व्यास, १ डो. हरिवल्लभ भायाणी, गुजराती साहित्य परिषद पत्रिका, प्राचीन रास काव्यो, फेब्रु मार्च. १९४७, पृ. ७. २ डो. भोगीलाल सांडेसरा, संशोधननी केडी, अभदाबाद, १९६१, पृ. २७९ ३ डो. चंद्रकान्त महेता, मध्यकाळना साहित्य प्रकारो, मुंबई, १९५८, पृ. ३०७-३७८ ४ श्री. डोलरराय मांकड, गुजराती काव्य प्रकारो, १९६४, पृ. ११८ ते पछीनां ५ श्री. के. का. शास्त्री. आपणां कविओ, अमदावाद, १९४२, खड-१ पृ. ११३-१५४ ६ श्री. अनंतराय रावल, गुजराती साहित्य (मध्यकाळ) मुंबई, १९६३, पृ. ३८-३९ ७ डो. मंजुलाल मजमुदार, गुजराती साहित्यनां स्वरूपो, वडोदरा, १९५४ पृ. ६८-७८ ८ प्रो. का. ब. व्यास, वसंतविलास, मुंबई, १९४२, पृ. ३७-४६, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004029
Book TitleShrungarmanjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanubhai V Sheth
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages308
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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