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________________ ५. शृंगारमंजरी कथाः एक लोककथा तरीके एनी कथासामग्रीना लोकतात्विक [Folkloric] दृष्टिए अभ्यास प्रास्ताविक पूर्वे आपणे 'शृंगारमंजरीचरित्र रास'ना कथानकनी रूपरेखा संक्षिप्तमा जोइ गया छीओ, आनी कथा सामग्रीको अभ्यास करतां तेने स्पष्ट पणे त्रण खंडमां विभक्ति करी शकाय अम छे. 'शृंगारमंजरीनी कथा'मां प्राप्त थती 'शीलवती कथा'नी मुख्य कथा मूळे बे स्वतंत्र कथानी बनेली होय अम लागे छे; अना पूर्वार्धमांमां 'श्रेष्ठीपुत्रनी शकुनरूतज्ञ बुद्धिमान पत्नी'नी कथा सांपडे छे. जेमा 'पशु-पंखी. नी भाषानु ज्ञान', 'गुढार्थ उक्तिकथन', 'राजा अने बुद्धिमान मंत्री', 'समस्या पृच्छा' जेवा कथा. प्रकृति के कथाघटकना समावेश थाप छे. अनां उत्तरार्धमा पतिव्रता पत्नी अने फसावेला आशका' नी कथा मळे छे. जेमा 'शोल-प्रतीक', 'फसावेल आशका' जेवा कथाघटको प्राप्त थाय छे. बळी अपतिव्रता पत्नीना दृष्टांत लेखे मळती पातालसुंदरी कथा' नामनी आङकथा पण मूळे स्वतंत्र लोककथा छे. जेमां पतिथी प्रच्छन्न प्रेमी के परपुरुष साथे संग करनार परपुरुषासक्त प्रमदा', पति के प्रेमीने मरिता आदिमां गबडावी दइ अन्य पुरुष साथे पलायन थनार प्रमदा' इत्यादि जेवा कथाघटका मळी आवे छे. शंगारमंजरी कथा : कथाप्रकृति : कथाघटको आम 'शृंगारमंजरीकथा'नी कथासामग्रीने नीचे मुजब त्रण खंडमां विभक्त करी शकाय : (१) श्रेष्ठीपुत्रनी शकुनरूतज्ञ बुद्धिमान पत्नीनी कथा (२) पतिव्रता पत्नी अने फसावेल आशकानी कथा (३) अपतिव्रता (बेबफा) पत्नीनी कथा. आ वणेय कथा-खंडमांथी अनुक्रमे नीचे मुजब कथाप्रकृतिओ के कथाघटका तारवी शकाय : (१) श्रेष्ठीपुत्रनी शकुनरूतज्ञ बुद्धिमान पत्नीनी कथान्तर्गत कथाप्रकृतिओ के कथाघटको १. पशु-पंखीनी भाषानु ज्ञान : शकुनरूत (Knowledge of Animal language, कथाघटक-सूची क्रमांक 'बी' २१६, कथाप्रकृति क्रमांक ५१७, ६७०-६७११) (अ) मध्यरात्रिए शियालनी लाळी अने तदानुसार द्रव्यप्राप्ति (कथाघटक-सूची क्रमांक _ 'अन' ५४७) (बी) शकुनवाणी द्वारा भूमिगोपित धननिधि अंगे सूचना अने तदानुसार धनप्राप्ति (कथाघटक-सूची क्रमांक 'अन' ५३७) २. गूढार्थ उक्तिकथन : उपलक दृष्टिए अर्थहीन भासती उक्तिओ ( अथवा कार्य )नु लाक्षणिक रीते अर्थघटन करता अर्थपूर्ण नीवडे (कथाघटक-सूची क्रमांक 'अच' ५८०) ३. नृप अने धीमान मंत्री : (धीमान मंत्रीपत्नी)-कथाघटक (सूची क्रमांक 'अच' ५६१.५) मंत्रीनी नियुक्ति अर्थे कसोटीरूप कोयडाओ ४. समस्यापृच्छा (Riddles, कथाघटक सूची क्रमांक 'अच' ५३०-५९९. १ अत्रे सर्वत्र एस. टोम्पसनना ‘घी फोकटेल' तथा ' मोटिफ इन्डेक्ष ओफ फोक लिटरेचर, १-६' नामना ग्रंथोमां आपेल वर्गीकरण अनुसार कथाप्रकृति के कथाघटकना क्रमांकनो निर्देश को छे. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004029
Book TitleShrungarmanjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanubhai V Sheth
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages308
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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