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________________ प्रभुना अपार गुणनु कथन करवाथी पोतानी अशक्तिने कवि ओक पछी अक सरस कल्पना बके दर्शावी छे, तेमां कविनी ठंची कल्पनाशक्ति देखाय छे. आभमंडल कागल करु रे. सायर जल भसि थाय, जउ तुझ गुण सुरगुरु लखइ रे, तुहइ पार न जाइ, तुहई पारि ज जाइ धाती, हइडा भीतरी छइ बाहु वाती, लेख लखतां पार न आवइ, गुण संभारइ विरह संतावह...१ २४जी. आम पोतानी अशक्तिना स्वीकार करी, काव्यना अंतमां कवि जणावे छे. अतिशय सयलि अलंकरियो रे, सीमंधर जिन राजो, केवलन्यांनइ सवि लहइ रे, सुर नर सेवित पायो, सुर नर सेवित पाय जिणेसर, सवि सुखदायक अति अलबेसर, जयवंतसूरि वर वयण रसाला, भगतिइ गाइ जिनगुणमाला.२ २७ काव्यांते आम 'स्व' नामनेा उल्लेख करी कवि भक्तिपूर्ण रीते गवायेली आ 'माळा' पूर्ण करे छे. V५. सीमंधरस्वामि लेख-सीमंधर जिन स्तवन ३९ कडीना आ नानकडा काव्यमां कविना सीमंधर स्वामि प्रत्येनेा भक्तिभाव अनेक अभिराम अलंकारो द्वारा अभिव्यक्ति पाम्यो छे. काव्यना प्रारंभमां कवि प्रभुना 'गुणकमल 'थी वेधायेल पोताना 'मन-भमर'नी वात सुंदर रीते व्यक्त करे छे. स्वस्ति श्रीपुंडरगणी, भारु सगण सीमंधर स्वामि, मुहि बोलतां अमृत झरे, मनोहर मोहन नाम, गुण-कमल तारइ वेधीउ, मन-भमर मुझ रसि पुरि, तुझ भेटवा अलजउ घणउ, किम करु थानिक दूरि रे.४...१ वाल्हा० प्रभु विना अकळामण अनुभवतां कविनी थयेली करुणदशानु वर्णन जोवा जेवु छे. मुझ दिवस वरसा सु समउ, तुझ विना रयणी छ मास, तारेइ वेधडइ सहु वीसरिं, सहुणा तणी सी आस, गुण तोरडई मन वेघीऊ, नवि वलइ वालउ अह, भूख तरस ऊडी गयां, तोरइ वेधडइ दाझइ मोरी देह रे.५ ७ कवि आम विरह वेदना अनुभवे छे. आ विरह दुःख-विखनी उग्रताना उपशम अर्थे कविनु मम केवी केवी कल्पना करे छे. गुंथी तुझ गुण-फुलडे, नाम मंत्र तुझ अह रे, विरह तणां विख टालिवा, हु जपु निसि-दीस रे, सुगुण सुलूणा सीमंधरा तोरी जोउ बलिहारि रे, सांहम जोउ नेह नयणले, करउ वेधडां सार रे....१७ १ सीमंघर जिनवर चंद्रउला, पृ. ६, २४. . अजन, पृ. ७, २७. ३ ला. द. हस्तप्रत ग्रंथभंडार, हस्तप्रत क्रमांक १००८. ४ सीमंधर स्वामि लेख, पृ. १,१. ५ अजन, पृ. १, ७. ६ अजन, पृ. १, १७. Jain Education Interational For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004029
Book TitleShrungarmanjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanubhai V Sheth
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages308
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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