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________________ धंगारमंजरी १४५ तूटक माया दुख भंडार सगांनइ, नेह (स)वे छइ कारिमा, जस काजि जे नर आवटइ, ते मोह नाणइ चित्तमां, संयोग सहुणा सरिस सायर लहरि चंचल घन इहां, कुश-अग्नि जलबिंदु सरिस जीवित, मोह घरीइ कुह किहां. २०२१ जस कारणि नर दुख घरइ रे, नव नव करइ उपाय. प्रेम गहिलु प्राणीउ रे, छडइ मायानइं ताय. २०२२ तूटक माय ताय बंधव सुत स्वामो, जे अति वल्लभ सुहुद, वनिता वसिथी सर्व ऊवेखइ, वलो करइ पातिक-वृंद, कामिनि प्रेम तणइ रसि रातु, छडइ बंधव-नेह, ते पणि वनिता हैडइ नाणइ, छेहडइ आपइ छेह. २०२३ को कहि नथी वल्लहु रे, ठालु म धरसि मोह, भू उपरि कुण न गयो रे, इंद नरेद्र समूह. २०२४ तूटक इद्र नरेंद समूह गया रे, लोला लहर भूपाल, दानी मानी चतुर विचक्षण, वइरीना जे काल, त्यागी भोगी न्याइ ठाकुर, जस कीरति जग बोलइ, ते पाण नयणा बार पधारिया, तुहि न प्राणी बुजइ. २०२५ जे वाहलां विण घङीय न जाइ, ते विण वरसह जाइ, मोटा मोटेरा जिनवर सरखा, ते पणि हवा कहिवाइ, इम संसार असार ज जाणी, जउ मनि कांइ न्यान हुइ, धर्म करतु वलो भवंतरि, भव-भय दुख जिम न हइ. २०२६ ढाल ३९ राग मारुणी (महेलो भव तणो राग न...) मुनि नायक रे एहवा सुणी उपदेश, हैडइ थयु विरांग न लीधू चारित्र सार, महेलउ भव तणु राग न. मु. २०२७ For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.004029
Book TitleShrungarmanjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanubhai V Sheth
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages308
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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