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जयवतमूरिकृत
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फटि रे पापी हैअडला, नीसुत नाबइ लज्ज, माणस विरमियां चित्त सिंउ, तेहनी करि लालच्चि. २०११ तीह उलंभा दीजीइ, जेहसिउं आगलि काम, जे मनमाथी उतरियां, नवि लीजइ तस नाम. २०१२ उछां चित्त न चालीइ, वरि खमोइ दस दोस, इम करतां जह नेह तिजइ, तो तिजीइ तस सोस २०१३ भागी डाल न वलगीइ, नवं कीजइ अंदोह, चित्ति विरतां माणसा, मनि नवि घरिइ मोह. २०१४
ढाल ३८
राग धन्यासी
(पहिल माणस मोह करइ, ओ देशी) सारथपति इम चोंतवइ रे, है है अधिर संसार, का कहिं नहीं बल्लहूं रे, कुहुनां स्त्री-भत्त रे. २०१५
तूटक कुहनां स्त्री-भरतोर सगा नइ, कूडु ए संसार, जे स्त्री कारणि पातक कीचूं, तेहनु एह सकार, पोढउ पृथिवीपति मि वंचिउ, मित्त-द्रोह वली कीध, वोसासघात कीधउ चली जेहनि, तणइ दुख दोध. २०१६ मरणां भय न धरि, जस कारणि नाणी कुलनी लाज, नरकि जवानउ बोले ज दीधु, कीधा घणा अकाज. रागइ प्राणी दोख न देखइ, दुखण गुण करी जाणइ, जे जेहथी निरमइ ते तेहनां, अछतां दुखण आणइ २०१७ विश्व थकी मन विरमिरं रे, तूटा बंधन पास, एणइ अवसरि गुरुजी मिलिया रे, बुजवइ वचन विलाप. २०१८
बुजवइ वचन विलास वाणी, भव्य प्राणी उल्लसइ, जिम ग्रीष्म तापइंया चतु(२) चातक, मेह देखी मनि हसइ, आगइति वल्लभ दूध उजवल मांहि, साकर जिम भलइ. जे सुणन हैडइ सांभरइ, क्षण मांहि वाहलां ते मिलइ. २०१९ सहिगुम दिउ उपदेसडु रे, . कुडउ एह संसार, नेह सवे छइ कारिमा रे, माया दुखु भंडार. २०२०
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