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जयवंतरित
रुपइ मोहिउ सार्थपति, सूति देखी नारि, भय सनेहिं कांपतु, चिंतइ हैया मजारि. १५६९ राज-सुता राय-वल्लभा, यौवन रुपइ मत, किम कहिसिउं मन-वत्तडी, किम लहिवासइ जचित्ति, १५७० नव-तन नेह समागमि, थरहइ कंपइ चित्त, धगमगती जिम पित्तनी, नाडी वहइ जडित्ति. १५७१ मारगनइ जल नेह-रस, सजन सभाबली जोइ, ए अवगाहियां जिगि नुहइ, थरहर कंपइ सोइ. १५७२ पीउ दीठिं नहीं सुख नहीं, दीठि गहिंबर थाइ, विसमी गती अति नेहनी, मुहुडइ कही न जाइ. १५७३ पिउ अणदीठिं दुखु जे, ते छइ लोक प्रसिद्ध, सुखि म दीठु दुखु जे, जाणइ जेणइ नेह कोद्ध. १५७४ अणदीठानु उरतु, हैडई थोडरु होइ, देखइ पणि न मिली सकइ, अति आवटणउं सोइ. १५७५ अथवा बोलावी जोउं, एहनइ मनि सिउ भाव, अनंगदेव इम चीतवी, जगावी सा बालि, १५७६ ऊठी आलस मोडती, निद्राभर नयणेण, मम्मण वयणां बोलती, नयणे जीता एण. १५७७ अनंगदेव देखी करी, मोही मोहण-वेलि, विहस्या नयण कपोल-तल, हैडइ हुंइ रंगरेली. १५७८ उदभूत देखी रुप ते, पूछइ सुंदरि वात, पुरुष भमर कुहु कुण तुह्ये, केही तुह्य विलाति. १५७९ नयणां देखो उल्लसियां, कोमल वचन सुणेवि, हैडां हेजि जाणी करी, हरख हवु मनि हेव. १५८० नयण जणावइ हरख भरि, हैडा तणउ सनेह देखी, देखी विहसइ कमल जिम, अति उल्लसइ सदेह. १५८२ पहिलूं मंडइ आंखडी, अण-जाण्या सिंउ प्रीति, पछइ. मीठे बोलडे नेह जगावइ चौति. १५८१ रत्त विरत्तां माणसा, नयणे वयणि जणाइ, नेह वइर घण गोपवइ, तुहि परगट थाइ. १५८३ रवि अत्थमणिं कमल जिम, देखी नयन कुरमाइ, वांकू, . जोइ बिस वमइ, नयन विरत्त कहाइ.. १५८४...
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