SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 192
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शृंगार भंबरी जे गति हंस हरावती, जिहां जिहां चालइ गोरडी, ते चंद्र - मुखी चंपा - वनी, गोरी दीठी जिणि नयणि, जस सिरिं चंदन - वास, हूं बलिहारी तांह. १५५४ तिखु कडखु सरेण, बंकिम चंचल नेह भरि, तस वइरीनूं कज्ज ए, करती हसइ अचिरेण. १५५५ घन घन ते नर- हंसला, पय सक्कर समतोल, जेहसि सरस सनेहना, बोलती हसइ सबोल. १५५६ विरह दावानलि-नीर, रोमंचिय नर घन्न ते, गोरी कोमल कर-कमल, थाव करंजिय पय-कमल, गोरी जस हैइ ठवइ, कंच-कुसण टूकीइ, पीन पयोधर भारि, घन ते नर जस गोरडी, दिइ आलिंगन सार, १५५९ चिंता संकड हैडलइ, सोसीय मांस सरीर, सुंदरि समरइ जास मनि, धिन धिन ते नर - हीर. १५६० वर नेउर झंकारि, ते पंथ ज सार. १५५३ रुपवती नइ गुणवती ससनेही तु पामीइ, करि कंकण कंचु कसणि, कंचण कंति रसाल, कोकिल कंठि कमल-मुखि, कदली-दल सुकुमाल. १५६१ कुटिल-केश केसरि-कटी, कुच करी-कुंभ कठोर. काम - कराली कामिनी, केसर कपुरह रोल. १५६२ कव्व कहा कवि कामिनी, केली हरि कलकेलि, कतुहल केसर कुसुम, अहीं वसइ कलकेलि. १५६३ गोरी गाहा गीय- रस, गोरस गयवर गोट्ट, गमती गुणवंत गोठडी, पुण्य गुणि गहिगहिती गजगती, बोलंती गुलथी गली, गुरु चंद्र - मुखी चंपावती, चतुर चमक्कइ चालि, चंचल आंख अणीआलि. तणा ए मोट्ट. १५६४ गोरी गोरा गाल, थोर थण-हार. १५६५ चंदन चोली चीर सिरि, जस गुणवंती गोरडी, धूली धूसर बालि, सप्रसन्न सविवेक प्रभु, तो ह धरि पुण्य रसाल. Jain Education International लग्गइ जास सरीर. १५५७ रिणि जिणि नेउर - सिद्धि, धन ते लील समुद्ध. १५५८ मुहि मीठी मनोहरि, ज हुइ दैवत सार For Personal & Private Use Only १५६६ १५६७ १५६८ ११७ www.jainelibrary.org
SR No.004029
Book TitleShrungarmanjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanubhai V Sheth
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages308
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy