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________________ जयवंतत्रिकृत चमर भार गोरी धरइ, गरवि चिहुर मिसेण, त्रिभुवन रुपि हरोवीउं, प्राण न चल्लइ केण. १५०४ गोरी गोर-थोर-थणिं, सोहइ वेणी-दंड, अमीय-कुंभ दोइ राखवा, जाणे सर्प प्रचंड. १५०५ लाल-दंड मंयणि दी, सिरि सौंदुरिय मंग, आण मनावी आप्पणी, पइ पाडियां नर-चंग. १५०६ सामलि अठमि सामली, निलवटि आधु-चंद, विद्या त्रिभुवन-मोहनी, साघइ मयण-योगिद. १५०७ निलवट चहुडिउ चांदलु, गोरो आणी डंस, मुहु ऊपमि ससि किम हवइ, आवइ एणइ असि. १५०८ भमुहि कोदंडि जे हणिया, नितु को पीडा तास, भींतरि साल न नीसरइ, जीव न मेहलइ आस. १५०९ अणीआणां अइ सामलां, परजीविय हरणांइ, गोरी नयणां खग जिम, जीवी अंतकरणांइ. १५१० गोरी नयणां जीह पडइ, धोलि धोलि विसम किडखु, तीह तीह धावइ मयण-भड, शर संघेविय तिक्खु, १५११ बाला नइ लोयणि करी, मयण मनावइ आण, नयण खटकु जीह पडइ, तोह संचरइ सुजाण. १५१२ हरिणाक्षी हरथी अधिक, ससि निःकलंक धरेइ, मयण दहिउ हर-लोयणि, सा नयणे सज्जेइ. १५१३ मयण-वीर सर-धोरणी, विस जलहर की धार, अमीय मही-रस मारणी, गोरी नयण-विकार. १५१४ गोरो नयणां जीह पडइ, विज्झम भरियां वंक, चंचल वलया विज्जु जिम, तीह विणासइ अंग. १५१५ बाला नयंणां जिह फुलइ, जीविय तास हरेय, तिणि पापि विहि नयणनइ, कालू कज्जल देह. १५१६ नयणां कज्जल उपरइं, मारइ तिहुयण लोय, काइ अधकेलं लहत जउ, तु जगि जीवत कोइ. १५१७ विस नयने मणि-दंतडे, चंडु-मुहि थणि हत्थि, अमृत गोरी-होठडे, लीधू सारय मत्थि. १५१८ पइसंता दीसइ नहों, खिणि खिणि खटकइ चित्ति, गोरी नयणां तीर जिम, वीघइ हैउं जडिति. १५१९ चित्तलेहा वरभमुहि जस, रंभा उरसो माल, नाशा-वंश तिलोत्तमा, गोरी रूपि रसाल १५२० । Jain Education Interational For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004029
Book TitleShrungarmanjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanubhai V Sheth
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages308
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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