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शृंगार मंजर
कामना श्रवण दोइ हीचालडा, बिंब-विद्रुम राता होठडा नासिका सग दीवा केरी, दंत दाडिम-कुली अधिकेरा. कंचण - कलशय पयोधर, योधि रहिया बे मांडि, गवर - कुंभ सहोदर, सादर किम जाइ छांडि, नखक्षत सहइ रत समरिं, सहइ थण मुष्टि- प्रहार, वली हैआ सिउं आथडइ, नापइ नमी लगार.
एक दुःख कर - पीडन केरुं, उपरि वली बंधन नवेरु, झूझिवु मुखि सामला, तुहि पयोधर न महेलइ आमला कमल-मृणाल सकोमल, भूज-दल अतिहिं प्रलंब, मोहिं युव-जन पांडवा, पाश तणा प्रतिबिंब, घन घन ते अपराधीय, चाँपी थणह विचालि, बांधइ प्रीउनि पार्शिय, सगुण सनेही बाल,
मयण मंदिर नाभि रसालि, तिणि तिहुअण जीपइ बाली, जव पयोधर सिउं चांपइ गाढई, तव हइउ अति थाइ टाढू
पातलडी कटि लंकीय, वंकीय नयणनि भावि, नितंब -थली अति पहुलीय, त्रिवलीय सहिज सभावि, चित्त चमकावs चालती, जघन पयोधर भारि, जंघ जिसी केलि कोमल, रंभ मनावी हारि आंखडी मचकु अति दाखवइ, मुख तणउ मटकु वली साचवइ, पातली किडि मरडी चालइ, पीन पयोधरइ
गतिं हराव्या मयगल, अलवि जाता हंस, रूपि रंभ हरावीय, जाणे धरिउ अवतंस, लोचन मुख कर सुचरणि, जीता पंकज-सार, पार न आवइ वर्णन, रूपिं रति - अवतार.
नयन - तीर वेणी - तलवारि,
पीन- पयोधर - कोट-मजारि, काम - राय जीपइ मदि - पुरु, कामिनी - जन बलि करी सुरु.
सरवर सोविन -राखडी, गोफणि गूंथी वेणि, सोविन - सिंधु सुन्दर, सोहइ सरसी तेणि, निलवटि नीली टीलीय, दीपइ चंद विचालि तेजि ससिहर दिनकर, कानि झबूकई झालि.
खडी अलवं अणआली, अनइ कज्जल - रेहा काली, मदनराय तणां बिंबाण, पंचबाण ते कहइ
अजाण.
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