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________________ रायचन्द्रजैनशास्त्रमालायाम् रूपसे दशवें अध्यायमें "मोहके क्षयसे तथा ज्ञानावरणी दर्शनावरणी अन्तरायके क्षयसे केवल ज्ञान होता है,, इस प्रकार कहेंगे। अत्राह । एषां मतिज्ञानादीनां ज्ञानानां कः कस्य विषयनिबन्ध इति अत्रोच्यते । अब पुनः कहते हैं कि ये जो मतिश्रुतादि ज्ञान हैं, इनमेंसे किसका क्या विषय निबन्ध है अर्थात् किस ज्ञानसे कौनसा किस प्रकारका पदार्थ जाना जाता है । इसके उत्तरमें सूत्र कहते हैं। मतिश्रुतयोर्निबन्धः सर्वद्रव्येष्वसर्वपर्यायेषु ॥ २७ ॥ सूत्रार्थः-सम्पूर्ण द्रव्योंके असर्व (कतिपय ) पर्यायोंमें मतिज्ञान और श्रुतिज्ञान इन दोनोंका विषय निबन्ध है। भाष्यम् –मतिज्ञानश्रुतज्ञानयोर्विषयनिबन्धो भवति सर्वद्रव्येष्वसर्वपर्यायेषु । ताभ्यां हि सर्वाणि द्रव्याणि जानीते न तु सर्वैः पर्यायैः । विशेषव्याख्या-मतिज्ञान तथा श्रुतज्ञानका विषय कतिपय (कुछ, न कि सब) पर्याय सहित जो कि सम्पूर्ण द्रव्य हैं, उनमें है अर्थात् इन दोनों ज्ञानोंसे जीव सब द्रव्योंको जानता है. परन्तु सर्व द्रव्योंके सर्व पर्यायोंको नहीं जानता। अपने योग्य कुछ पर्यायोंको ही जानता है ॥ २७ ॥ रूपिष्ववधेः ॥ २८ ॥ सूत्रार्थः-कृष्णपीतादि जो रूपवान् द्रव्य हैं, उन्हींमें अवधिज्ञानका विषय निबन्ध है। भाष्यम्-रूपिष्वेव द्रव्येष्ववधिज्ञामस्य विषयनिबन्धो भवति असर्वपर्यायेषु । सुविशुद्धेनाप्यवधिज्ञानेन रूपीण्येव द्रव्याण्यवधिज्ञानी जानीते तान्यपि न सर्वैः पर्यायैरिति ॥ . विशेष व्याख्या-जो पदार्थ व द्रव्य रूपवाले है, वे ही अवधि ज्ञानके विषय हैं । उन रूपी द्रव्योंमें सम्पूर्ण पर्याय अवधिज्ञानके विषय नहीं है, किन्तु कतिपय पर्याय अत्यन्त शुद्ध अवधिज्ञानद्वारा भी रूपवान् ही पदार्थ जाने जाते हैं, न कि रूप रहित । और रूपवान् द्रव्य भी सम्पूर्ण पर्यायों सहित नहीं जाने जाते, किन्तु कतिपय पर्याय सहित ही जाने जाते हैं ॥ २८ ॥ तदनन्तभागे मनःपर्यायस्य ॥ २९॥ सूत्रार्थः-उसके अनन्तवें भागमें मनःपर्यायज्ञानका विषयनिबन्ध है । भाष्यम्-यानि रूपीणि द्रव्याण्यवधिज्ञानी जानीते ततोऽनन्तभागे मनःपर्यायस्य विषयनिबन्धो भवति । अवधिज्ञानविषयस्यानन्तभागं मनःपर्यायज्ञानी जानीते रूपिद्रव्याणि मनोरहस्यविचारगतानि च मानुषक्षेत्रपर्यापन्नानि विशुद्धतराणि चेति ॥ www.jainelibrary.org
SR No.004021
Book TitleSabhashya Tattvarthadhigam Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorThakurprasad Sharma
PublisherParamshrut Prabhavak Mandal
Publication Year
Total Pages276
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size6 MB
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