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सभाप्यतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् । त्यवेक्षिताप्रमार्जितः संस्तारोपक्रमः अनादरः स्मृत्यनुपस्थानमित्येते पञ्च पौषधोपवासस्यातिचारा भवन्ति ॥
विशेषव्याख्या-अप्रत्यवेक्षित और अप्रमार्जित, अर्थात् विना पूर्णरूपसे देखे और विना खच्छ (साफ)किए हुए स्थानमें मलमूत्रादिका करना १ यह अप्रत्यवेक्षित तथा अप्रमार्जित स्थलमें उत्सर्गनामा अतिचार है, ऐसे ही अप्रत्यवेक्षित अर्थात् विना अच्छी रीतिसे देखे, और अप्रमार्जित अर्थात् विना शुद्ध किये हुए किसी पदार्थको ग्रहण करना अथवा कहीं स्थापित करना वा फेंक देना; यह अप्रत्यवेक्षिताप्रमार्जितादाननिक्षेपनामा द्वितीय अतिचार है २ तथा विना देखे और विना शुद्ध किये विस्तरआदिपर गमन शयन, आसनादिक करना यह तृतीय अप्रत्यवेक्षित-अप्रमार्जित-संस्तारोपक्रमनामा अतिचार है ३ अनादर पौषधोपवासमें कर्तव्य अनुष्ठानमें आदरका अभाव यह चतुर्थ अतिचार है। ४ । और पौषधोपवासमें कर्तव्य विधिकी विस्मृति होना, अथवा पौषधमें उपवास ही भूलजाना यह पौषधोपवासका पञ्चम अतिचार है । ५ । इस प्रकार पौषधोपवासके पांच अतिचार हैं ॥ २९ ॥
सचित्तसंबडसंमिश्राभिषवदुष्पकाहाराः ॥ ३०॥ सूत्रार्थ—सचित्ताहार १ सचित्तसंबद्धाहार २ सचित्तसंमिश्राहार ३ अभिषवाहार, ४ और दुष्पक्वाहार, ५ ये पांचों प्रकारके आहार उपभोगव्रतके अतिचार हैं ॥ ३० ॥
भाष्यम्-सचित्ताहारः सचित्तसंबद्धाहारः सचित्तसंमिश्राहारः अभिषवाहारः दुष्पकाहार इत्येते पञ्चोपभोगव्रतस्यातिचारा भवन्ति ॥
विशेषव्याख्या-सचित्त अर्थात् चित्तसहित वस्तुका भोजन करना यह सचित्ताहार है। १ । तथा चित्तसे संबद्ध (संबन्ध रखनेवाली )वस्तुका आहार सचित्तसंबद्धाहार है । २ । चित्तसहित जो पदार्थ है, उससे मिलित पदार्थोंका आहार सचित्तसंमिश्राहार है । ३ । अभिषव अर्थात् पुष्ट अथवा रससंयुक्त आहार यह अभिषवाहार है । ४ । और (अच्छी तरह न पकाये हुए)पदार्थका जो आहार है वह दुष्पकाहार उपभोगव्रतका अतीचार है । ५। ऐसे पांच अतीचार हैं ॥ ३० ॥ ___ सचित्तनिक्षेपपिधानपरव्यपदेशमात्सर्यकालातिक्रमाः ॥३१॥
सूत्रार्थः-सचित्तनिक्षेप १ सचित्तपिधान २ परव्यपदेश ३ मात्सर्य ४ तथा कालातिक्रम ५ ये पांच अतिथिसंविभागवतके अतिचार हैं ॥ ३ ॥
भाष्यम्-अन्नादेव्यजातस्य सचित्ते निक्षेपः सचित्तपिधानं परस्येदमिति परव्यपदेशमात्सर्य कालातिक्रम इत्येते पञ्चातिथिसंविभागस्यातिचारा भवन्ति ।।
विशेषव्याख्या–अन्नआदि जो द्रव्यसमूह है उसको किसी सचित्त वस्तुपर रखदेना यह सचित्तनिक्षेप है। १ । अन्नआदि पदार्थको सचित्त वस्तुसे ढकदेना, यह सचित्तपि
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