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सभाष्यतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् । सब देव ऐसा करते चले आये हैं (भगवान् तीर्थंकरोंके जन्मादिमें आनन्द मनाते आये हैं) इससे हमको करना चाहिये ऐसा समझकरके प्रसन्नताको प्राप्त होते हैं और जन्म अभिषेकादिके स्थानमें उत्सवार्थ जातेभी हैं । और लोकान्तिक देव तो सभी विशुद्धभाव होते हैं, अतएव सद्धर्मके बहुमान आदरसत्कारसे तथा संसारके दुःखोंसे पीडित जीवोंके ऊपर दया कर भगवान् परमर्षिवरूप अर्हत् तीर्थंकरोंके जन्म अभिषेक आदि उत्सवोंमें विशेष रूपसे प्रसन्न होते हैं । अभिनिष्क्रमणके लिये अर्थात् तपके अर्थ संकल्प करनेवाले भगवान्को उनके समीप जाकर प्रसन्नचित्तसे स्तुति, तथा बड़ाई प्रतिष्ठा आदि करते हैं। अत्राह । के पुनर्लोकान्तिकाः कतिविधा वेति । अत्रोच्यते
अब यहांपर कहते हैं कि लोकान्तिक देव कौन हैं, और कितने हैं? इस हेतुसे यह आगेका सूत्र कहते हैं
ब्रह्मलोकालया लोकान्तिकाः ॥ २५ ॥ सूत्रार्थ-ब्रह्मलोकमें जो रहते हैं वे लोकान्तिक हैं । भाष्यम् --ब्रह्मलोकालया एव लोकान्तिका भवन्ति नान्यकल्पेषु नापि परतः । ब्रह्मलोकं परिवृत्त्याष्टासु दिक्षु अष्टविकल्पा भवन्ति । तद्यथा
विशेषव्याख्या-जिन देवोंका ब्रह्मलोक आलय अर्थात् स्थान है वे ब्रह्मलोकालय अर्थात् ब्रह्मलोकनिवासी देव लोकान्तिक कहे जाते हैं, न कि अन्य कल्पनिवासी, और न ब्रह्मलोकसे परे लोकके निवासी लोकान्तिक हैं । ब्रह्मलोक परिवेष्टित करके आठों दिशाओं(चार दिशा और चार विदिशाओं)में आठही विकल्प (भेद) इनके होते हैं। जैसे
सारखतादित्यवहयरुणगर्दतोयतुषिताव्यावाधमरुतः (अरिष्टाश्च)२६
सूत्रार्थ-ये सारस्वत आदि आठ प्रकारके देव ब्रह्मलोककी पूर्वोत्तर आदि दिशाओं में होते हैं।
भाष्यम्-एते सारस्वतादयोऽष्टविधा देवा ब्रह्मलोकस्य पूर्वोत्तरादिषु दिक्षु प्रदक्षिणं भ. वन्ति यथासङ्खयम् । तद्यथा-पूर्वोत्तरस्यां दिशि सारस्वताः, पूर्वस्यामादित्याः, इत्येवं शेषाः ॥
विशेषव्याख्या-सारस्वत आदि मरुत् पर्यन्त आठ देव ब्रह्मलोकके पूर्वोत्तर आदि जो अष्ट दिग्विभाग हैं उनमें प्रदक्षिणरूपसे रहते हैं । यहांपर सारस्वत आदि देव और पूर्वोत्तरा आदि आठों दिशाओंका यथासंख्य क्रम है । जैसे-पूर्वोत्तर दिशामें सारस्वत देव रहते हैं, अर्थात् पूर्व और उत्तरदिशाके कोण (ऐशानकोण )में सारस्वत रहते हैं । पूर्व दिशामें आदित्यसंज्ञक देव रहते हैं। इसी प्रकार अन्य देवोंके विषयमें भी जान लेना चाहिये । अर्थात् पूर्व दक्षिण (आग्नेयकोण )में वहि, दक्षिणमें अरुण, दक्षिण पश्चिम
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