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पं. फूलचन्द्रशास्त्री व्याख्यानमाला मन:पर्ययज्ञानी तथा केवली तो इसे जानते हैं ही। पंचमकाल में क्षायिक समकित नहीं___ इस काल में केवली तथा श्रुतकेवली का अभाव है अत: अभी क्षायिक सम्यक्त्व उत्पन्न नहीं हो सकता । (धवल ६/२४३) तथा बद्धायुष्क क्षायिक समकिती यहाँ उत्पन्न होगा नहीं, क्योंकि वह तो तीन भोगभूमि में ही जन्म लेगा । (लब्धिसार ११०-११) अत: यहाँ पंचम काल में किसी भी तरह से सम्यग्दृष्टि का जन्म सिद्ध नहीं होता। संख्या
कुल क्षायिक सम्यक्त्वी असंख्यात होते हैं । मनुष्यों में क्षायिक सम्यक्त्वी संख्यात तथा देवों असंख्यात हैं। प्रथम नरक में भी क्षायिक सम्यक्त्वी असंख्यात हैं । (जयध. २/३१९) तिर्यंचों में असंख्यात क्षायिक सम्यक्त्वी हैं। (धवल ५/२६३ तथा ज.ध.२/३१९ आदि) प्रत्येक स्वर्ग तथा ग्रैवेयक में भी असंख्यात क्षायिक सम्यक्त्वी हैं ।चतुर्थ गुणस्थान के सर्व त्रिविध सम्यक्त्वी मनुष्य की संख्या ७०० करोड़ है। इतना वेशेष हैं । भेद
क्षायिक सम्यक्त्व अभेद होता है । इसे अलग से स्पष्ट किया ही है। हाँ, वेदक सम्यक्त्व के भेद असंख्यात लोक प्रमाण होते हैं । इस तरह सामान्य सम्यक्त्व की अपेक्षा सम्यग्दर्शन पूर्ण ही होता है, ऐसा कहना गलत है । (धवल १/३६८) क्षायिक सम्यक्त्वी संयतासंयत कौन __क्षायिक समकिती तिर्यंच तो मात्र भोगभूमि में ही होते हैं तथा भोगभूमि में उत्पन्न जीव के अणुव्रत होते नहीं । इसलिए क्षायिकसमकिती पंचम गुणस्थान वाला तो मनुष्य ही हो सकता है । (धवल १/४०२, ध.८/३६३ सम्पादक - पं. फूलचन्द्र सिद्धान्तशास्त्री सिद्धान्ताचार्य) कर्मभूमि का तिर्यंच क्षायिक सम्यक्त्व उत्पन्न नहीं कर सकता । कर्मभूमि का मनुष्य ही क्षायिक सम्यक्त्व प्राप्तकर पूर्व में तिर्यंचायु के बंधवश तिर्यंचों में जाता है। इस तरह तिर्यंचों में भी क्षायिक सम्यक्त्व भोगभूमि में बन जाता है । स्त्रियों (महिलाओं) में क्षायिक सम्यक्त्व नहीं होता -
मानुषीणां भाववेदस्त्रीणां, न द्रव्यवेदस्त्रीणां तासां क्षायिकासम्भवात् । __ अर्थ - मानुषी का अर्थ भाववेदी स्त्री है, द्रव्यवेदी स्त्री नहीं; क्योंकि द्रव्यवेदी स्त्री के क्षायिक सम्यक्त्व नहीं होता । प्रमाण- तत्त्वार्थवृत्ति पद पृ.३७९ ज्ञानपीठ (प्रभाचन्द्र) तत्त्वार्थवृत्ति श्रुतसागरी पृ.२० सवार्थसिद्धि पृ.१७ टिप्पण (ज्ञानपीठ),कषायपाहुडसुत पृ६० ,गोजी.गा.६९५-९६ (पं.रतनचन्द्र मुख्तार की टीका)पृष्ठ७५४,जैनगजट दि.३०.९.५५ ई.तथा दि.२२.६.७० ई.मुख्तारीय
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