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पं. फूलचन्द्रशास्त्री व्याख्यानमाला __उक्त विस्तृत प्ररूपणा से यह सिद्ध हुआ कि आयु का रहना या छीनी जाना, जीना या मरण होना मात्र आयुकर्म के अधीन है । सारत: किसी यमराज आदि द्वारा आयु छीनी जाने की मान्यता उचित सिद्ध नहीं होती।
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