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पं. फूलचन्द्र शास्त्री व्याख्यानमाला पूर्वगत, अनुयोग और चूलिका, में गर्भित हैं तथा विज्ञान की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं
1. उत्पाद पूर्वजीव काल, पुद्गलादि द्रव्यों की उत्पत्ति, विनाश व धौव्य का विचार 2. अग्रायणीयसमस्त द्रव्यों एवं उनकी विभिन्न अवस्थाओं की संख्या, परिमाणादि का विवेचन 3. वीर्यानुवाद - उक्त द्रव्यों के क्षेत्रकालादि की अपेक्षा वीर्य अर्थात् बल सामर्थ्य का विचार 4. अस्ति-नास्ति प्रवाद - लौकिक वस्तुओं के नाना अपेक्षाओं से अस्तित्व नास्तित्व का विवेक 5. ज्ञान-प्रवाद - मति श्रुतादि ज्ञानों तथा उनके भेद प्रभेदों का प्रतिपादन 6. सत्य प्रवाद -
वचन की अपेक्षा सत्य, असत्य, विवेक एवं वक्ताओं की मानसिक परिस्थितियों तथा असत्य के स्वरूपों का विवेचन
7. आत्म-प्रवाद - आत्मा के स्वरूप, उसकी व्यापकता, ज्ञातृ भाव तथा भोक्तापन सम्बन्धी प्रतिपादन 8. कर्म-प्रवाद - नाना प्रकार के कर्मों की प्रकृतियों, स्थितियों, प्रदेशों, अनुभागों आदि का निरूपण 9. प्रत्याख्यान
परिग्रह त्याग, उपवास विधि, मन वचन काय की विशुद्धि आदि आचार सम्बन्धी नियम निर्धारण
10. विद्यानुवाद -
विभिन्न विद्याओं और उपविद्याओं का प्ररूपण, तथा इनके अन्तर्गत अंगुष्ट प्रसेनादि सात सौ अल्पविद्याओं, रोहिणी आदि पाँच सौ महाविद्याओं एवं अन्तरिक्ष, भौम, अंग, स्वर, स्वप्न, लक्षण, व्यंजन और छिन्न, इन आठ महानिमित्तों द्वारा भविष्य को जानने की विधि निरूपण।
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