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आत्मानुशासन
अपनेको ज्ञानी पण्डित माननेवाले भी कामके परवश हैं, दाताके तीन प्रकार
विरक्तके परिग्रहत्यागमें उदाहरण
परिग्रहके त्यागमें अज्ञानी, पुरुषार्थी और ज्ञानीकी वृत्ति विवेकी शरीरादिको त्यजने योग्य अनुभवते हैं अज्ञान आदिकी प्रवृत्तिका और विरक्तिका फलनिरूपण दया - दान आदिमें प्रवृत्त होनेका फल परम पद कुटीप्रवेशके फलके समान परिग्रह त्यागका फल मोक्ष कौमारब्रह्मचारी कौन यह जानकर उसे प्रणाम करनेकी शिक्षा योगिगम्य परमात्मा बननेके रहस्यका कथन
मनुष्य पर्यायकी अस्थिरता जानकर इस पर्यायमें तपद्वारा मोक्ष प्राप्ति सम्भव है, अतः तप करनेकी प्रेरणा
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परमार्थसे समाधिमें कष्टका लेश नहीं
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अन्य सबकी यता जान तपकी उपादेयताका कथन
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अनादि रागादिको जीतनेमें समर्थ तापसंहारक तपमें रमनेकी शिक्षा ११४ समाधिसे वर्तमान पर्यायको सार्थक करनेवाले सन्यासीकी प्रशंसा ११५ वैराग्य और तपके कारणभूत ज्ञानकी महिमा
११६-११७
विधिका विलास अलंध्य है इसका आदि जिनके उदाहरणद्वारा
समर्थन
श्रुतनिमित्तक राग भी प्रभातके संध्यारागके समान अभ्युदयका कारण है
११८-११९
संयमी दीपक के समान कर्मरूपी कज्जलका वमन करता है। १२०-१२१ आगमज्ञानसे अशुभसे शुभरूप होकर शुद्ध होता है, उदाहरणद्वारा इसका समर्थन
उदाहरणद्वारा अधोगतिके कारण रागका निषेध
जो मार्ग में सामग्री लगती है मोक्षके पथिकके पास वह सब है, अतः उसे मोक्ष प्राप्त करना कठिन नहीं
स्त्रीविषयक राग मोक्षमार्ग में बाधक है इसका सोदाहरण सकारण निर्देश
शब्दशास्त्रकी दृष्टिसे नपुंसक मनकी बलवत्ता राज्यकी अपेक्षा तप क्यों पूज्य है, इसका निर्देश
स्थानभ्रष्ट पुष्प के समान गुणक्षति लघुताका कारण
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