SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 219
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १५८ आत्मानुशासन अर्थ-सम्यग्दर्शन, सम्यक्ज्ञान, सम्यक्चारित्रकी पूर्णता ही भया धन ताकरि तूं शीघ्र ही निर्वाणकू अपने हाथि करि । जब सत्यरूप मुक्ति अपने वसि करी तब कृतार्थ भया। .. . भावार्थ-जैसैं कौऊ पुरुष इष्ट वस्तुकं धनादिक देय करि अपने हाथि करै तैसें तूं रत्नत्रयरूप धनकरि मोक्ष पदार्थकू अपने हाथि करि, ज्यों सुखी होय। ___ आगै कहै हैं सराग भाव की है उत्कृष्टता जामैं ऐसी जो प्रवृत्ति अर वीतराग भाव की है उत्कृष्टता जामैं ऐसी जो निवृत्ति, इन दोऊनिकी अपेक्षा इह जगत कैसा है सो दिखावै हैं उपेन्द्रवज्रा छंद अशेषमद्वैतमभोग्य भोग्यं निवृत्तिवृत्त्योः परमार्थकोव्याम् । अभोग्यभोग्यात्मविकल्पबुद्धया निवृत्तिमभ्यस्यतु मोक्षकांक्षी ॥२३५।। अर्थ-इह समस्त जगत् निवृत्ति की अपेक्षा तौ भोगिवे योग्य नाही, त्यागवे योग्य है, अर प्रवृत्तिकी अपेक्षा सकल जगत् भोगिवे योग्य है। कैसा है जगत् ? अद्वैत कहिए एकरूप है । विषय कषायनिकी प्रवृत्ति सो प्रवृत्ति कहिए। अर तिनकी निवृत्ति सो निवृत्ति कहिए । सो इन दोऊनिकी अपेक्षा अभोग्यरूप अर भोग्यरूप जानि प्रवृतिकूतजि मोक्षके अभिलाखी निवृत्ति ही का अभ्यास करहु। प्रवृत्तिका फल संसार, निवृत्तिका फल निर्वाण है । भावार्थ-इह जगत अविवेकीनिकू तौ रागके वस करि भोग्यरूप भासै है, अर विवेकीनिकू ज्ञानभाव करि त्यागरूप भासै है । तो जो तूं मोक्षाभिलाषी है तौ तजिवे ही का अभ्यास करि, जातँ मुक्त होय । ... आगै कहै हैं कि निवृत्तिका अभ्यासकौ लगि करनानिवृत्तिं भावयेद्यावन्निवृत्यं तदभावतः । न वृत्तिर्न निवृत्तिश्च तदेव पदमव्ययम् ।।५३६।। अर्थ-जौ लगि तजिवे योग्य मन वचन कायादिकका संबंध न छूटै तौ लगि निवृत्तिहीका अभ्यास करना । अर जब पर वस्तुका अभाव होइ गया तब न प्रवृत्ति, अर न निवृत्ति, केवल - शुद्धस्वरूप ही है। जो पर पदार्थनितें सर्वथा रहित होना सो ही अविनाशी पद है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004018
Book TitleAtmanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTodarmal Pandit
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year1983
Total Pages250
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy