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________________ १२६ आत्मानुशासन अधर्मो अभव्य जीव है सो शास्त्रका अभ्यास करि पदार्थनिकौं जानता प्रसिद्ध तौ होइ परन्तु रागादि दोषनि करि मैला हो है । आगें ध्यानकी सामग्रीकौं दिखावता सूत्र कहै हैं. मुहुः प्रसार्य सज्ज्ञानं पश्यन् भावान् यथास्थितान् । प्रीत्यप्रीती निराकृत्य ध्यायेदध्यात्मविन्मुनिः ॥१७७॥ अर्थ-आत्माका अधिकाररूप जो अध्यात्मभाव ताका जाननहारा मुनि है सो बारंबार सम्यग्ज्ञानकौं फैलाइ जैसे पदार्थ तिष्ठ हैं सो तैसैं तिनिकौं अवलोकता संता रागद्वेषनिकौं निराकारण करि ध्यावै है। भावार्थ-आत्मज्ञानी जीव ध्यान करै है। तहां पहले तो आगम अनुमानादिकरूप सम्यग्ज्ञानतें जीवादि पदार्थनिका निश्चय करै । बहरि यथार्थ श्रद्धान करता संता जैसैं रागद्वेष न होइ तैसें वाह्य साधन वा अंतरंग विचारि करि रागद्वेषनिका नाश करै, ऐसी सामग्री भए ध्यानकी सिद्धि हो है । जारौं उपयोगकी निश्चलताका नाम ध्यान है । सो रागद्वेष होते पर द्रव्यनिवि उपयोग म्रमै तहां ध्यान कैसे होइ । बहुरि पदार्थनिका निश्चय भये बिनां पर द्रव्य इष्ट अनिष्ट भासै तहां राग द्वेष कैसे दूरि होय । अपना ज्ञान पदार्थनिके जाननेविर्षे लगाये बिना पदार्थनिका निश्चय कैसे होइ । ता” ज्ञानकौं विस्तार पदार्थनिका यथार्थ निश्चयकरि रागद्वेषकौं मेटि कोई एक पदार्थकौं यथार्थ ध्यावता अन्य सर्व चितवनकौं रोकि ध्यानावस्थाकौं जीव प्राप्त हो है । यह ध्यान है सो साक्षात् मोक्षमार्ग है। ताकै अर्थि भव्यनिकौं ऐसी सामग्री मिलावनी योग्य है। ___ आर्गे रागद्वेषकौं निराकरणकरि काहेत ध्यान करै ऐसा प्रश्न कीए उत्तर कहै हैं । जो तिन रागद्वेषनिके संसारको कारण जे कर्म तिनके उपजावनेका कारणपना पाइए है । तातै तिनको नष्टकरि ध्यान करै सोई कहै हैं वेष्टनोद्वेष्टने यावत्तावद् भ्रान्तिर्भवाणवे । आवृत्तिपरिवृत्तिभ्यां जन्तोमन्थानुकारिणः ॥१७७।। अर्थ-मंथां जो रई ताका अनुसारी तिस सारखा जो यह प्राणी ताकै यावत् बधनां अर खुलनां पाइए है तावत् संसार समुद्रविर्षे गमन अर आगमन तिनकरि भ्रमण हो है १. अपना ज्ञान पदार्थनि के कैसे होइ । तातै० ज० १७७,९ For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.004018
Book TitleAtmanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTodarmal Pandit
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year1983
Total Pages250
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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