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________________ आत्मानुशासन ___ अर्थ-जिनिविर्षे विच्छेद न होइ ऐसे सुखकै समाज तिनकरि तौ पाल्या हवा है अर मनोहर अङ्गयुक्त स्त्री तिनके चपल रमणीक जे नेत्र तेई भए कमल तिनकरि पूजित सन्मानित ऐसा यह शरीर था । बहरि यौवन अवस्थाका मध्यविर्षं पाया है ज्ञान जानैं ऐसा तं सो तेरा वैसा शरीर भस्म भया, वनकी स्थल कमलनीकी आशंकाकरि जो हरिणीनिकरि अवलोकिये तो तूं धन्य है। भावार्थ-जैसा अभ्यास होइ तैसें प्रवर्तं ऐसी प्रवृत्ति है । तातैं दुखिया दुःख सहै तौ सहै, परन्तु पूर्व पुण्य-उदयकरि सुख, समाज, स्त्री आदि कारणनितें परम सूखिया होय रहे थे, बहरि ज्ञान पाएं यौनन अवस्थाविर्षे ही दीक्षा धारि तपकरि ऐसे भए जिनिकौं हरणी सारिखा चंचल जीव जल्या हुवा ठूठ सारिखा अवलौके हैं ते जीव धन्य हैं, सर्व प्रकार स्तुति योग्य हैं। देखो अत्मज्ञानकी कोई ऐसी ही महिमा है । परम सुखिया तीर्थङ्कर चक्र वति ते दीक्षा धारि मेरुवत् निश्चल भए । बाहुबलि आदि ऐसा प्रतिमा योग दिया जहां बेलि लपटाई, सुकुमालजीकै सरस्यौं चुभै थी सो स्यालिनी खाने लगी तो भी निश्चल रहे, इत्यादि पुरुष भये ते धन्य हैं। आगे ऐसे ही तेरा जन्म सफल होय, अन्य प्रकार नहीं ऐसे दिखावता संता सूत्र कहै हैं शार्दूल छन्द बाल्ये वेत्सि न किंचिदप्यपरिपूर्णाङ्गो हितं वाहितं कामान्धः खलु कामिनीद्रुमघने भ्राम्यन् वने यौवने । मध्ये वृद्धतषार्जितुं वसु पशुः क्लिश्नासि कृष्यादिभिवार्धिक्येऽर्धमतः क्व जन्म फलि ते धर्मो भवेन्निर्मलः ॥८९।। तर्थ-बाल्य अवस्थाविर्षे तौ तूं सम्पूर्ण अङ्गरहित होत संता किछू भी हित व अहितकौं नाहीं जाने है। बहुरि यौवनविर्षे स्त्रीरूपी वृक्षनिकौं सघनतारूप वन ताविर्षे भ्रमता संता कामकरि अन्ध भया । बहुरि मध्य वयविर्षे बधी जो तृष्णा ताकरि पशुसमान भार निर्वाह करनहार होत संता धन उपजावनैको खेती आदि कर्मनिकरि क्लेश पावै है । बहुरि वृद्धअवस्थाविर्षे आधा मृतक भया । ऐसें तेरा मनुष्य जन्म है सो फलवान कहां होई निर्मल धर्म कहां होइ । १. बालकपने ज्ञान न लहौ, तरुण समय तरुणो रत रह्यो। अर्धमृतकसम बूढापनों कैसे रूप लखै आपनौ-छहढाल । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004018
Book TitleAtmanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTodarmal Pandit
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year1983
Total Pages250
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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