________________
७६.
सफलता के बहुमूल्य सूत्र व्यक्ति इस कमरे के ताले को खोलकर सबसे पहले बाहर आ जाएगा, उसे ही राज्य का मंत्री बनाया जाएगा।
इस घोषणा के परिणामस्वरूप रात्रि को पूर्ण जागरण करके नाना पुस्तकों को पढ़ने वाले दोनों व्यक्ति पुन: ताले पर दिये हुये अंकों का अनुसंधान करने के लिये अपनी-अपनी पुस्तकें खोलकर बैठ गए और बड़ी तेजी से पन्ने पर पन्ने उलटने लगे किन्तु उस ताले को खोलने की समस्या उनसे हल नहीं हो पाई और वे चिन्ता के सागर में गोते लगाते हुए कार्य में जुटे रहे।
- किन्तु रात भर आनन्द से सोने वाला व्यक्ति कुछ देर तक चुपचाप बैठा रहा, उसने ताले पर अंकित गणित के अंकों को भी नहीं देखा। कुछ समय पश्चात् पूर्ण आत्मविश्वास के साथ उठा और शान्तिपूर्वक धीरे-धीरे कदम बढ़ाता हुआ ताले के पास आया। उसने ताले पर हाथ रखा और उसे थोड़ा घुमाया-फिराया। उसी समय बड़े आश्चर्य से उसने देखा कि ताला खुल गया था।
वास्तव में बात यह थी कि ताला बंद नहीं था, खुला ही था। राजा ने ताले के विषय में जो जाहिर किया था वह केवल यह देखने के लिये कि किस व्यक्ति में दृढ़ आत्मविश्वास है । जिसमें आत्मविश्वास होता है वह किसी भी कठिन परिस्थिति में घबराता नहीं। राज्य का मत्री भी ऐसा ही होना चाहिये था जो राज्य पर कैसा भी संकट क्यों न आ जाए तनिक भी विचलित न हो और प्रत्येक समस्या का धैर्यपूर्वक समाधान खोज निकाले ।
इसीलिये तीसरे व्यक्ति के आते ही राजा ने उसका सहर्ष स्वागत किया और उसे अपना मंत्री बनाया।
उदाहरण से स्पष्ट हो जाता है कि आत्मविश्वास एक महान पूजी है जिसके द्वारा व्यक्ति कठिन से कठिन समस्या का हल भी आसानी से खोज लेता है । आत्मविश्वास शारीरिक बल की भी अपेक्षा नहीं रखता । प्रायः देखा जाता है कि मोटा-ताजा स्वस्थ व्यक्ति भी आत्मविश्वास के अभाव में अपने किसी भी कार्य को सम्पन्न नहीं कर पाता और कोई दुबला-पतला दो पसली का व्यक्ति अपने विश्वास के बल पर मंजिल पा लेता है । गांधीजी शारीरिक शक्ति के धनी नहीं थे किन्तु उनके हृदय में दृढ़ मनोबल था और उसी के कारण उन्होंने करोड़ों व्यक्तियों को अपने नेतृत्व में चलाया और हिन्दुस्तान को परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त कराकर ही दम लिया।
___ सारांश यही है कि सफलता के साधनों में आत्मविश्वास का एक बड़ा महत्वपूर्ण स्थान है और उसके अभाव में किसी भी उद्देश्य को पूर्ण नहीं किया जा सकता।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org