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आनन्द प्रवचन | पांचवां भाग
लक्ष्य आत्म-मुक्ति को न भूलें । अगर आप इसे याद रखेंगे तो निश्चय ही आपका मन संसार में उलझा नहीं रहेगा।
आप जयंतियां मनाएं, जन्मतिथियां मनाएँ पर यह ध्यान रखें कि क्यों हम महापुरुषों को स्मरण करते हैं ? उनके व्यक्तिगत जीवन को याद करना तो कुछ भी अर्थ नहीं रखता, वे केवल इसीलिये स्मरणीय हुए कि उनमें ऐसे श्रेष्ठतम गुण थे, जिनके कारण वे स्वयं तो संसार से मुक्त हुए ही, हमारे समक्ष भी अपने महान् गुणों को आदर्श के रूप में छोड़ गए । अतः उन गुणों को हमें भी जीवन में उतारना है। आज आपने मेरे लिये जो भाव प्रगट किये वे आपके स्नेह के द्योतक हैं। मेरी यही कामना है कि आप आत्मोन्नति के मार्ग पर निरन्तर बढ़े तथा अपने श्रेष्ठतम लक्ष्य को प्राप्त करें। .
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