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तोल कर बोलो!
__ "यह सब झूठ है । क्या कोई ऐसी भविष्यवाणी कर सकता है ? तू अपने पापों पर परदा डालने के लिये ही बातें बना रही है।" क्रोध से आग-बबूला होकर राजपूत बोला।
पति-पत्नी की यह बातें हो ही रहीं थी कि इतने में संत उधर से आ गए। उन्होंने पिछले दिन निश्चयपूर्वक एकदम कह तो दिया था कि-'तेरा पति कल आ जाएगा।" किन्तु बाद में उन्हें अपनी भूल का ज्ञान हुआ और यह विचार कर कि उस स्त्री का पति आया या नहीं, कहीं मेरी बात असत्य तो नहीं साबित हुई है ? ऐसा विचार करके अपनी बात की प्रतिक्रिया जानने के लिये सहज उत्सुकतावश उधर आ निकले।
जब स्त्री ने मुनिराज को पधारते हुए देखा तो पति से बोली-"इन्हीं गुरुदेव ने मुझे आपके विषय में बताया था कि आज आप आ जाएँगे।"
पति का क्रोध उतरा नहीं था, अतः उसने मुनि से पूछा-"अगर आप भविष्य में होने वाली बात बता सकते हैं, तो बताइये कि मेरी यह घोड़ी जो कि गर्भवती है, इसके क्या होगा ?"
___ संत बड़े पशापेश में पड़े । किन्तु उत्तर न देने पर उस दंपति में कलह बढ़ जाता और स्त्री अविश्वास की पात्र बनती, अतः उन्होंने उत्तर दिया -
"इसके बछेरा होगा।" यह सुनते ही राजपूत युवक ने अपनी तलवार कमर से निकाली और संत के हाँ-हाँ "कहते-कहते भी अविलंब घोड़ी का पेट चीर दिया और उसके पेट से बच्चे को निकालकर देखा । बच्चा बछेरा ही था।
पर संत ने अपने शब्दों का जब यह भयंकर परिणाम देखा तो महान पश्चात्ताप करते हुए अपने स्थान पर जाकर चारों आहारों का त्याग कर समाधिमरण स्वीकार कर लिया। इधर स्त्री ने जब यह सुना तो घोड़ी और उसके बच्चे की हत्या के दुःख से तो वह पहले ही दुखी थी, पर अब संत के अकाल देहावसान का कारण भी अपने को मानकर घर में गई और अपने कमरे का दरवाजा बन्द कर गले में फंदा डालकर छत की कड़ी से झूल गई।
राजपूत ने जब यह सब देखा कि बच्चे समेत घोड़ी मरी, संत ने संथारा ले लिया और इधर स्त्री भी फांसी लगाकर मर गई तो उसने भी स्त्री के गले का फंदा निकालकर अपने गले में डाल लिया।
___ इस प्रकार केवल 'तेरा पति कल आ जाएगा' संत के इन निश्चयात्मक शब्दों के कारण पाँच प्राणियों की जान गई। इसलिये साधु के लिये निश्चयात्मक भाषा का प्रयोग करना भगवान के आदेशानुसार सर्वथा वर्जित है।
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