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दृष्टिपूतं न्यसेत् पादम् जबकि चलना-फिरना और अन्य कार्य भी देख-भालकर किये जायं। इस विराट विश्व में ऐसे-ऐसे सूक्ष्म जीव भी हैं जो सुई की नोंक के समान छोटे होते हैं और इतना ही नहीं ऐसे भी जीव होते हैं जोकि आँखों से दिखाई भी नहीं देते । किन्तु बंधुओ ! हमें जहाँ तक बने प्राणियों की विराधना से बचना चाहिये । आप चाहे जितनी सामायिक करें, प्रवचन सुनें, शास्त्र पढ़ें, पर जीवों की विराधना से बचें तो वह आपका सबसे बड़ा धर्मकार्य होगा।
, इसलिये सर्वप्रथम ईर्यासमिति को महत्त्व दिया गया है और प्रत्येक को इसका पालन करना चाहिये ।
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