________________
१८६
आनन्द प्रवचन | पांचवां भाग
चार प्रकार के व्यापारी जीवों के विषय में बताया गया है, और यह आपको निर्णय कर लेना है कि आप किस प्रकार के व्यापारी बनना चाहते हैं।
___ आप अपनी गाड़ी में शक्कर भरकर लाए है यह तो दिखाई दे ही रहा है किन्तु गाड़ी यहां पर जो खाली हो रही है, उसे पुनः किससे भरना है ? शक्कर से या मिट्टी से ? आप मिट्टी के नाम से नाराज हो रहे होंगे ? पर भाई, शक्कर भी यों ही तो नहीं मिल जाएगी। उसके लिये त्याग करना पड़ेगा, नियम लेने पड़ेंगे, ज्ञान, दर्शन, चारित्र एवं तप की आराधना करनी होगी तथा संवर के मार्ग पर आत्मा को बढ़ाना पड़ेगा। परलोक कोई नानीजी का घर नही है कि कुछ परिश्रम किए बिना ही वहाँ सब कुछ मिल जाय ।
इसलिए बन्धुओ ! इस दुर्लभ भव को पाकर हमें भली-भाँति जान लेना है कि हमारे लिए कर्तव्य क्या हैं और अकर्तव्य क्या हैं । जब हम यह समझ लेंगे तभी संवर के मार्ग पर चलकर आत्म-कल्याण कर सकेंगे।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org