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________________ आनन्द प्रवचन | पांचवां भाग सुदर्शन सेठ घबराये नहीं और न ही उनके मन में यह बिचार आया कि"हे भगवान ! मुझे बचाओ ।" वे पूर्ण समाधिपूर्वक ध्यानस्थ हो गये । १६८ इधर अर्जुनमाली भयंकर रूप धारण किये हुए दूर से ही सुदर्शन जी की ओर दौड़ता हुआ आया और समीप आकर उन्हें मारने के लिये मुद्गर ऊँचा किया । पर घोर आश्चर्य की बात तब हुई जबकि उस हत्यारे का मुद्गर लिये हुए जो हाथ ऊँचा उठा था, वह ऊपर ही थम गया । नीचे झुका ही नहीं । बंधुओ ! आप सोचेंगे कि ऐसा कैसे हो गया ? पर इसमें आश्चर्य की बात नहीं है । जो दिव्य पुरुष धर्म को अपने सम्पूर्ण अन्तःकरण से ग्रहण कर लेता है, क्या धर्म उसकी रक्षा नहीं कर सकता ? धर्म में तो इतनी शक्ति है कि वह अनन्त जन्ममरण से भी छुटकारा दिला देता है तो फिर सेठ सुदर्शन के लिये तो एक बार की मृत्यु का ही सवाल था । कहने का अभिप्राय यही है कि सेठ सुदर्शन मृत्यु का भय होने पर भी अपने धर्म से नहीं डिगे और कसौटी पर खरे उतरे । परिणाम स्वरूप वे सदा के लिये अजर-अमर हो गए । आपके पास कलेजा नहीं है ? वैष्णव साहित्य में भी एक छोटी सी कथा आती है कि नारद जी अपने आपको महान धर्मात्मा और भगवान का सच्चा भक्त मानते थे । उन्होंने एक बार विष्णु जी से कहा भी कि - " भगवन् ! आपका सबसे बड़ा भक्त मैं हूं । मेरे जैसा भक्त आपको इस संसार में दूसरा नहीं मिल सकता ।" विष्णु यह सुनकर उस समय तो मौन रहे पर एक बार नारद जी की परीक्षा लेने का उन्होंने निश्चय किया । कुछ काल व्यतीत हो जाने पर एक बार जब नारद जी पुनः उनके पास आए तो उन्होंने असह्य दर्द का दिखावा करते हुए छटपटाना शुरू कर दिया । नारद जी ने जब उनकी तकलीफ के विषय में और उसके ठीक होने के बारे में पूछा तो वे बोले - "आज मेरे पेट में असह्य दर्द है । और यह तभी ठीक हो सकता है, जबकि मुझे किसी महान् धर्मात्मा और मेरे सच्चे भक्त का कलेजा मिले ।" नारद जी बोले- ________81 - "इसकी क्या फिक्र है प्रभो ! मैं अभी चुटकियों में ही इस कार्य को सम्पन्न करता हूँ तथा आपके लिये औषधि लेकर आता हूँ ।" Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004008
Book TitleAnand Pravachan Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnand Rushi, Kamla Jain
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1975
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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