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________________ असली और नकली १६५ ____वास्तव में समय आने पर ही असली और नकली की परीक्षा होती है। किसी ने कहा भी है धीरज, धर्म, मित्र अरु नारी, आपत काल परखिये चारी। __ संकट में धीरज - धैर्यवान व्यक्ति की परीक्षा संकट के समय ही होती है। अपनी दुकान और अपने घर में सुरक्षित रहकर तो व्यक्ति चाहे जितनी डींगें हाँक सकता है पर अगर घर में चार चोर आ जाएं तो मुह से बचाओ--शब्द भी नहीं निकल पाता वह भी हलक में ही रह जाता है। ___ इसके अलावा दुःख, कष्ट और परेशानी में भी मनुष्य चिड़चिड़ा हो जाता है तथा धीरज खो बैठता है, पर सभी व्यक्ति ऐसे नहीं होते । जो धैर्यवान पुरुष होते हैं वे कैसी भी आपत्ति क्यों न आ जाए, विचलित नहीं होते । एक मारवाड़ी व्यापारी को एक बार गुड़ के व्यापार में लगभग चालीस हजार रुपये का घाटा हो गया। जब किसी अन्य व्यक्ति ने उससे इस नुकसान के लिये सहानुभूति प्रकट की तो वह व्यापारी हंसने लग गया और बोला- "अरे भाई ! मुझे चालीस हजार का घाटा नहीं वरन् तीस हजार का लाभ हुआ है।" सहानुभूति दिखाने वाला व्यक्ति यह सुनकर चकित हुआ और व्यापारी का मुंह देखने लग गया। मारवाड़ी सज्जन ने तब कहा- 'देखो मित्र ! अगर आज मैं यह माल न बेचकर पन्द्रह दिन बाद बेचता तो मुझे चालीस के स्थान पर सत्तर हजार का नुकसान होता। तब तुम्हीं बताओ मुझे तीस हजार का लाभ हुआ है या नहीं ?" यह सुनकर दूसरा व्यक्ति चुप रह गया और व्यापारी के धीरज की मन ही मन प्रशंसा करने लगा। हमारे धर्म के इतिहास में तो ऐसे अनेक उदाहरण भरे पड़े हैं। अल्प-वय के मुनि गजसुकुमाल के मस्तक पर उनके ससुर द्वारा अंगारे रखे गये तब भी उन्होंने उफ तक नहीं किया, महावीर भगवान के कानों में कीले ठोक दिये तब भी वे उसी शांत मुद्रा में ध्यानस्थ रहे । सत्यवादी हरिश्चन्द्र को अपना विशाल साम्राज्य छोड़कर चांडाल के घर पानी भरना पड़ा और यही नहीं पत्नी व पुत्र को भी बेचना पड़ा। पर क्या उन्होंने धैर्य 'खोया ? नहीं। महापुरुष किसी स्थिति में धैर्य च्युत नहीं होते। परिणाम यह होता है कि वे संसार में सदा के लिये अमर हो जाते हैं । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004008
Book TitleAnand Pravachan Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnand Rushi, Kamla Jain
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1975
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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