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________________ १६२ आनन्द प्रवचन | पांचवां भाग कहा गया है - इस जीव को प्रथम तो सम्पूर्ण अंग एवं उपांग मिलने कठिन होते हैं और ये मिल गये तो लम्बा जीवन मिलना मुश्किल हो जाता है। संसार में हम देखते ही हैं कि कच्ची कलियों के समान अनेक शिशु जन्म लेते समय या उसके पश्चात् शैशवावस्था में और तब भी बच गये तो पूर्ण युवावस्था में भी काल-कवलित हो जाते हैं। इसीलिये कवि ने कहा है कि लम्बा जीवन भी मुश्किल से मिलता है। पर आगे क्या कहा है ? यही कि लम्बा जीवन व्यक्ति प्राप्त कर ले तो भी अगर वह शील एवं सदाचार से युक्त न हो तो व्यर्थ है। और भाग्य से कदाचित् यह सब मिल गया तो अमूल्य चिन्तामणि के समान सम्यक्त्व रत्न प्राप्त होना तो बहुत ही कठिन है या दुर्लभ है। तो बन्धुओ ! मनुष्य जन्म, परिपूर्ण इन्द्रियाँ, लम्बा जीवन, और सम्यक्त्व की प्राप्ति करके भी कषायों के वेग से मन को नहीं बचाया और आश्रव करते चले गये तथा संवर एवं निर्जरा की आराधना नहीं की तो यह शरीर पाने का क्या लाभ होगा ? कुछ नहीं। यह ध्यान में रखते हुए हमें संवर-मार्ग अपनाना है एवं धर्म की आराधना के लिये अपने मन व इन्द्रियों पर काबू पाना है। पर यह तभी हो सकता है, जबकि व्रत और नियमों का इन पर अंकुश रखा जाय । संयमित जीवन के लिये व्रतों का बड़ा भारी महत्व है और उनका पालन करना आत्मोन्नति के लिये अनिवार्य है। इसलिये व्रतों का पालन करते समय कोई भी बाधा, कैसी भी कठिनाइयाँ और कितने भी परिषह क्यों न सामने आएं', साधक को उनसे घबराना नहीं चाहिये । अपितु दृढ़ मनोबल से उनका मुकाबला करना चाहिये । परिषहों से घबराकर व्रतों को भंग कर देने वाले व्यक्ति का व्रत-धारण करना कोई महत्व नहीं रखता। क्योंकि जिस प्रकार जूतों का महत्व घर में नहीं वरन कंटकाकीर्ण मार्ग पर होता है, इसी प्रकार व्रतों का महत्व साधारण दिनचर्या में नहीं वरन उपसर्गों और परिषहों के समय साबित होता है । परिषह भी व्रतों की कसौटी हैं। __तो, जो मुमुक्ष प्राणी ऐसा मानकर परिषह सहते हुए भी अपने व्रतों का पालन करेंगे वे इस लोक और परलोक में सुखी बनेंगे। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004008
Book TitleAnand Pravachan Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnand Rushi, Kamla Jain
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1975
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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