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आनन्द प्रवचन | पांचवां भाग तुम्हारा छुटकारा जरूर हो जाएगा । मैंने उसे संत तुकाराम के वचन भी सुनाए जिनमें से एक है
"मागे केले, नका पाहूं, पुढे जामीन आम्ही होवू ।'
-अगर आगे पाप नहीं किये तो तुम्हारी मुक्ति होगी, जरूर होगी। यही पटेल से कहा गया कि-किये हुए के लिए पश्चात्ताप करो और आगे न करने की प्रतिज्ञा करो । अगर की हुई प्रतिज्ञाओं का बराबर पालन करोगे तो कर्म-बन्धनों से छूट जाओगे। . पटेल ने हिंसा और मांसाहार न करने का व्रत लिया और जहां वह सदा शराब के नशे में धुत्त रहता था, वहाँ उसका भी सर्वथा त्याग कर दिया।
कर्मसंयोग से कुछ समय पश्चात् वह बीमार पड़ा और डॉक्टरों ने कहा"तुम्हें शराब पीनी पड़ेगी अन्यथा स्वस्थ नहीं हो सकोगे।"...
किन्तु पटेल ने स्पष्ट इन्कार करते हुए कह दिया - "मरना कबूल है पर शराब नहीं पीऊँगा।" .. मराठों में भी ऐसे बहुत हैं जो नियमों का पालन करते हैं। एक बार हमारा चातुर्मास चिचोंडी गाँव में था । वहाँ एक महाराष्ट्रीय कोलाटी जाति का आया। उसने कहा-"महाराज ! मुझे मांस-मदिरा का त्याग करा दो।" मैंने कहा"तुम साँप-बिच्छू को भी मत मारना ।'' उस व्यक्ति ने यह भी कबूल कर लिया और वहाँ से चला गया।
संयोग की बात थी कि उसके खेत में एक भयंकर सर्प निकल आया। बेचारा वह व्यक्ति भागा भागा हमारे पास आया और बोला-- ''महाराज ! अब क्या करू ?" - उस व्यक्ति के मन में श्रद्धा थी अतः मैंने कहा- "भगवान शांतिनाथ का नाम लेकर खेत के चारों तरफ राख डाल दो।" उसने वैसा ही किया और बाद में आकर बोला- "महाराज साँप चला गया ।"
वास्तव में ही जिसके हृदय में श्रद्धा होती है, और जो अपने त्याग-नियमों का पक्का होता है, उसकी रक्षा भगवान भी करते हैं । इसीलिये अभी एक श्लोक के द्वारा बताया गया है कि गुरु के द्वारा लिये गये नियमों को किसी भी अवस्था में भंग मत करो । संक्षेप में प्राण जाने पर भी प्रण मत छोड़ो। .. . .... मेरे कहने का सारांश यही है कि प्रत्येक मुमुक्ष, को चाहे वह साधु हो या श्रावक, अपने व्रतों पर दृढ़ रहना चाहिये तथा आत्म-कल्याणकारी बारह भावनाओं
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