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________________ आनन्द प्रवचन | पांचवां भाग कवि ने लड़के वालों के लोभ का दृश्य अपनी पंक्तियों में प्रस्तुत किया है । आज के युग में किस प्रकार अपने लड़कों के दाम बढ़ाकर वे लड़की वालों को परेशान करते हैं यह असत्य नहीं है । इसीलिये आप सबको मिलकर समाज की सभी कुप्रथाओं को त्याज्य घोषित करके उनमें सुधार करना चाहिये । किन्तु ये सभी बातें तभी संभव हो सकेंगी जबकि आप श्रीमन्त लोग पहले कदम उठाएँगे और कटिबद्ध होकर इन कार्यों में जुटेंगे । १५४ 1 केवल सन्त ही यह बोझ नहीं उठा सकते । वे आपको समझा सकते हैं, आपको मार्गदर्शन कर सकते हैं पर संतों के विचारों को मूर्त रूप तो आप लोग संगठित होकर ही दे सकते हैं । इसीलिये मैं बार-बार आपसे कहता हूँ कि आप लोग अपने विचारों में साम्य लावें और यह ध्यान रखें कि अगर समाज सुदृढ़ रहेगा तभी धर्म टिकेगा | दीवार रहने पर ही उस पर रंग ठहरता है। दीवार के न रहने पर रंग के ठहरने का प्रश्न ही नहीं उठता । बन्धुओ ! समाज में कुरीतियां और कुप्रथाएं नई नहीं हैं । इन्हें बहुत दिनों का कचरा समझना चाहिये । और काफी प्रयत्न की जरूरत समझ कर इन्हें साफ करने का प्रयत्न भी अधिक करना चाहिये । ऐसा करने पर ही परिवारों में शांति रहेगी. समाज गौरवशाली बनेगा तथा देश भी विश्व के अन्य देशों के समक्ष अपना मस्तक ऊँचा रख सकेगा । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004008
Book TitleAnand Pravachan Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnand Rushi, Kamla Jain
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1975
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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