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________________ बचने का दरिद्रता ! .. ११५ सब आता है मुझे एक घर में सास और बहू दोनों ही थीं । प्रायः देखा जाता है कि खाना बनाने से पहले बहुएं अपनी सास से पूछती हैं कि, 'क्या बनाऊ' ?' यह बड़ों का मान रखने की रीति है । इस रीति का पालन करने के लिये उस घर की बहू भी अपनी सास से यही बात पूछ लिया करती थी । सास समझदार और व्यवहारकुशल थी । अतः क्या बनाना, यह बताते हुए प्रायः यह भी बता दिया करती थी कि अमुक वस्तु इस प्रकार बना लेना । किन्तु बहू अहंकारी थी । अतः जब उसकी सास खाद्य पदार्थ को बनाने की विधि बताती तो उसे सुन लेने के पश्चात् वहाँ से उठते-उठते यह कह देती थी कि- " यह बनाना तो मुझे भी आता है ।" प्रति दिन बहू की यह गर्वोक्ति सुनकर एकदिन सास ने उसकी परीक्षा लेने का विचार किया और एक दिन जबकि घर में मेहमान आए हुए थे, उसने बहू के पूछने पर खीर बना लेने को कहा तथा खीर के लिए दूध-शक्कर आदि का प्रमाण बताते हुए पीछे से यह भी कह दिया कि उसमें थोड़ा नमक डाल देना । बहू को वास्तव में ठीक खाना होशियारी बताने के लिये वह उस दिन " मुझे खीर बनाना आता है ।" पर उसके नमक भी डाल दिया । बनाना तो आता नहीं था किन्तु अपनी भी यह कहकर रसोई में चली गई कि बाद जब उसने खीर बनाई तो उसमें परिणाम क्या हुआ होगा, इसका आप बिगड़ गई । नमक डालने से खीर का स्वाद तो गया और जब मेहमानों को खीर परोसी गई तो कटोरियां थाली में से निकालकर बाहर रख दीं । अन्दाज लगा सकते हैं। यानी खीर बिगड़ा ही, साथ ही दूध भी फट सबने थू-थू करते हुए खीर की Jain Education International ---- यह देखकर बहू सास के पास दौड़ी और बोली - " आपके बताए अनुसार ही तो मैंने खीर बनाई थी फिर वह खराब कैसे हो गई ?” सास ने शांतिपूर्वक कहा - " मेरे रोज बताने पर तुम कहती थीं कि मुझे सब बनाना आता है अतः आज मैंने खीर में नमक डालने को कह दिया था । सोचा था कि जब तुम स्वयं बनाना जानती हो तो नमक डालोगी ही क्यों ? अन्यथा खीर में नमक कहीं पड़ता है ?" सास की बात सुनकर बहू की आँखें खुल गई और उस दिन से उसने कान For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004008
Book TitleAnand Pravachan Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnand Rushi, Kamla Jain
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1975
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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