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________________ सत्संगति दुर्लभ संसारा चाहिए। आप लोग भी जब प्रतिक्रमण करते हैं तो उस समय ज्ञान के चौदह अतिचार बोलते हुए कहते हैं- हीणक्खरं, अच्चक्खरं, अर्थात् कम या अधिक अक्षर बोला हो तो तस्स मिच्छामि दुक्कडं । तो जिस प्रकार महापंडित अभयकुमार की क्षणिक संगति से विद्याधर के मन्त्र - ज्ञान की न्यूनता पूर्ण हुई, उसी प्रकार संत जनों की एवं गुरु की संगति करने से मुमुक्षु प्राणी के ज्ञान में रही हुई न्यूनताओं की तथा त्रुटियों की भूलें ठीक होती हैं तथा ज्ञान में निरन्तर वृद्धि होती है जिसकी सहायता से वह अपनी साधना को सबल बनाता है । ध्यान में रखने की बात है कि मनुष्य किताबी ज्ञान कितना भी हसिल कर ले, बड़े-बड़े ग्रन्थों को कण्ठस्थ करके विद्वानों की श्रेणी में अपने आपको समझने लग जाए. फिर भी वह ज्ञानी नहीं कहला सकता। क्योंकि उसका ज्ञान तर्क-वितर्क तथा वाद-विवाद करके लोगों को प्रभावित करने तथा भौतिक उपलब्धियों को प्राप्त करने के काम ही आता है । वह ज्ञान उसकी आत्मा को कर्ममुक्त करने में सहायक नहीं बनता । सच्चा ज्ञान वही है जो आत्मा को शुद्धि की ओर बढ़ाता है तथा शनैः-शनैः उसे भव-भ्रमण से छुटकारा दिलाता है और ऐमा ज्ञान जिसे हम सम्यक् ज्ञान कहते हैं संत-जनों के सम्पर्क से ही हासिल हो सकता है । संत अथवा सच्चे गुरु जो कि विशुद्ध सम्यक् दृष्टि के धारी होते हैं, वीतराग की वाणी पर अटूट विश्वास रखते हैं, विषय-विकारों अलिप्त रहते हैं तथा त्याग और तपस्या के द्वारा निरन्तर कर्मों की निर्जरा करते हुए साधना पथ पर बढ़ते हैं, वे ही सच्चे ज्ञानी कहलाते हैं तथा उन्हीं की संगति से अन्य प्राणी भी ज्ञान-वृद्धि करते हुए अपनी आत्मा को शुद्धि की ओर ले जा सकते हैं । 1 सच्चे संत अथवा गुरु की पहिचान कराते हुए पूज्यपाद श्री अमीऋषि जी महाराज कहते हैं : सबं Jain Education International ७५ जग जाल संसार अनित्य, विचारी सुजान तजे सुख सारे । गहे शिवमार्ग विराग रहे, जग-राग दहे अघ डाग निवारे ॥ करे नहिं नेह कभौं तन तें, तप संजम से निज काज सुधारे । तजे वनिता धन-धाम अमोरिख, सत्य वही गुरुदेव हमारे ॥ For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004006
Book TitleAnand Pravachan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnand Rushi, Kamla Jain
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1983
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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