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विनय का सुफल १८३ विनय के अभाव में विद्या हासिल नहीं होती
राजा श्रेणिक के राज्य में एक भंगी रहता था। एक बार उसकी पत्नी गर्भवती हुई । गर्भावस्था में उसे आम खाने का दोहद उत्पन्न हुआ और अपने पति से उसने अपनी इच्छा जाहिर की !
भंगी पत्नी को इच्छा को जानकर बहुत चिंतित हुआ क्योंकि उन दिनों आम का मौसम था नहीं अतः वह कहीं से आम नहीं ला सकता था । किन्तु अचानक उसे ध्यान आया कि राजा श्रेणिक के निजी बाग में आम के ऐसे पेड़ हैं जिनमें सदा ही आम लगा करते हैं। यह ध्यान आते ही भंगी अत्यन्त प्रसन्न हुआ और उसने अपनी स्त्री के दोहद को पूरा करने का निश्चय किया।
आप सोचेंगे कि राजा के शाही बगीचे में से भंगी को कौन आम लाने देता, पर यह समस्या हल करना उसके लिये कोई बड़ी बात नहीं थी। क्योंकि भंगो को ऐसी एक सिद्धि हासिल थी कि वह अपने तीर के द्वारा कहीं से भी कोई भी चीज अपने पास मँगवा सकता था। अत: उसने यही किया, अर्थात् बगीचे के बाहर से ही तीर छोड़ा और एक आम उसमें फंसकर आ गया।
घर जाकर उसने आम पत्नी को दिया और पत्नी ने उसे खाया । पर वह आम उसे इतना अधिक स्वादिष्ट लगा कि वह प्रतिदिन पति को उसे मँगाने के लिये बाध्य करने लगी। भंगी अपनी विद्या के बल से रोज आम लाने लगा । फल यह हुआ कि बगीचे में आमों की संख्या बहुत कम हो गई और वहाँ का माली बड़ा चकित हुआ कि बगीचे में चोर कभी दिखाई देता नहीं, पर आम घटते जा रहे हैं। उसने जाकर राज-दरबार में इस बात की शिकायत की।
फलस्वरूप राजा श्रेणिक ने अपने असाधारण बुद्धिशाली मन्त्री अभयकुमार के द्वारा आमों के चोर (भंगी) का पता लगवाया और उसे मृत्युदण्ड देने की आज्ञा दी।
भंगी जाति से निम्न था किन्तु ज्ञान में बढ़ा-चढ़ा और एक अद्वितीय विद्या का अधिकारी था। उसने कहा
"राजन् ! आप मुझे सहर्ष मृत्युदण्ड दे दीजिये किन्तु पहले मुझसे वह विद्या सीख लीजिये जिसके द्वारा मैं बिना बगीचे मे घुसे ही आम मँगवा लिया करता था। अन्यथा वह मेरी मृत्यु से मेरे साथ ही समाप्त हो जायेगी।"
श्रेणिक को भंगी की बात अँच गई और उन्होंने उसे दरबार में विद्या सिखाने के लिये उपस्थित होने का आदेश दिया। भंगी दरबार में लाया गया
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