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________________ ४६.४७ ( १४ ) २३. बलभी-नरेश के साथ स्वामिनी का विवाह । उनके अनुरोध से उसके गुरुजन श्वेत-वस्त्र धारण कर लेते हैं । २४. रानी स्वामिनी की पुत्री जक्खिल का करहाटपुर के राजा के साथ विवाह । उनको प्रेरणा से कुछ साधु निम्रन्थपना स्वीकार कर लेते हैं। इसी से वलियसंघ की उत्पत्ति हुई। विशाखनन्दी के शिष्यों द्वारा श्रुतांग-लेखन एवं श्रुतपंचमी पर्वारम्भ । __ ४८-४९ २५. पंचमकाल का वर्णन । पाटलिपुर के प्रथम दुष्ट कल्किराजा चतुर्मुख का परिचय । ५०-५१ २६. पाटलिपुर के जलमन्थन नामक अन्तिम कल्किराजा के दुष्ट कार्यों का विवरण । जलमन्थन की मृत्यु के बाद पंचमकाल के अन्तिमांश एवं छठे काल का रोचक वर्णन । ५२-५३ २७. षटकालों का रोचक वर्णन । ५४-५५ २८. प्रशस्ति । ५६-५७ परिशिष्ट १. भद्रबाहु कथानकम् २. चाणक्य मुनि कथानकम् ३. उपवासफलवर्णनम् अर्थात् भद्रबाहु-चाणक्य-चन्द्रगुप्त-कथा ४. चाणक्क कहाणगं ५. शब्दकोष ६. टिप्पणियां D सन्दर्भ-साहित्य Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004003
Book TitleBhadrabahu Chanakya Chandragupt Kathanak evam Raja Kalki Varnan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year1982
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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