________________
प्रकाशकीय
श्री गणेशप्रसाद वर्णी दि० जैन ग्रन्थमाला के २९वें पुष्प के रूप में "आचार्य भद्रबाहु-चाणक्य-चन्द्रगुप्त-कथानक एवं कल्किवर्णन" नामक लघु ग्रन्थ को श्री गणेश वर्णी दि० जैन संस्थान की ओर से प्रकाशित करते हुए परम प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। भारतीयइतिहास के निर्माण में आचार्य भद्रबाहु, महामति-चाणक्य एवं मौर्यवंशी प्रथम सम्राट चन्द्रगुप्त का योगदान अविस्मरणीय है। प्राच्य एवं पाश्चात्य इतिहासकारों ने तद्विषयक उपलब्ध विविध सन्दर्भ-सामग्नियों पर ऊहापोह कर कुछ प्रकाश डाला है और यह हर्ष का विषय है कि उनके अधिकांश निष्कर्षों से जैन तर्यों का प्रायः समर्थन होता है।
नन्द एवं मौर्यवंश तथा आचार्य चाणक्य के विषय में जैनसाहित्य में प्रभूत सामग्री लिखी गयी किन्तु उसमें से अभी कुछ ही सामग्री प्रकाशित हो सकी है, फिर भी सहज-सुलभ न होने से वह विस्तृत तुलनात्मक अध्ययन का विषय नहीं बन सकी है। भविष्य में वह ऐतिहासिक सामग्री सहज सुलभ हो सके, इसके लिए संस्थान प्रयत्नशील रहेगा।
हम डॉ० राजाराम जैन के आभारी है, जिन्होंने अपभ्रंश के महाकवि रइधू कृत इस लघु ऐतिहासिक कृति का सम्पादन एवं अनुवाद कर उसमें अपनी प्रस्तावना के माध्यम से उक्त विषयक तुलनात्मक एवं समीक्षात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया है । इसके अतिरिक्त आवश्यक टिप्पणियों एवं परिशिष्टों आदि से भी उसे शोधार्थियों के लिए अधिकाधिक उपयोगी बनाने का प्रयत्न किया है। आशा है यह कृति सभी के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।
श्रुतपञ्चमी २७-५-८२
-उदयचन्द्र जैन
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org