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अधिष्ठाता बाबा भागीरथजी
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अधिष्ठाता रहे। समयकी बलिहारी है कि ऐसा उदार महानुभाव कुछ समय बाद विधवाविवाहका पोषक हो गया । अस्तु, यहाँ उसकी कथा करना मैं उचित नहीं समझता । यद्यपि इस एक बातके पीछे जैन समाजमें आपकी प्रतिष्ठा कम होने लगी, फिर भी आपकी श्रद्धा दिगम्बर धर्ममें आजन्म रही। आपने धर्मप्रचारके लिये निरन्तर परिश्रम किया । ब्रह्मा व लंकामें जाकर आपने दिगम्बर जैनधर्मका प्रचार किया ।
इसी उद्घाटन के समय श्रीमोतीलालजी देहलीवालोंने भी विद्यालयके प्रारम्भमें सहायता प्रदान करनेका आश्वासन दिया। इस तरह विद्यालयका उद्घाटन सानन्द सम्पन्न हो गया । पठनक्रम क्वीन्स कालेज बनारस का रहा । विद्यालयको सहायता भी अच्छी मिलने लगी, भारतवर्षके प्रत्येक प्रान्तसे छात्र आने लगे ।
इसी विद्यालयके मुख्य छात्र पण्डित वंशीधरजी साहब हैं जो कि आज इन्दौरमें श्रीमान् सर सेठ हुकुमचन्द्रजी साहबके प्रमुख विद्वान् हैं। आप बड़े ही प्रतिभाशाली हैं। आपके ही द्वारा समाजमें सैकड़ों छात्र गोम्मटसारादि महान् ग्रन्थोंके ज्ञाता हो गये हैं । आपकी प्रवचनशैली अद्भुत है। आप विद्वान् ही नहीं, त्यागी भी हैं। अब आपने पञ्चमी प्रतिमा ले ली है। अपने पुत्रको आपने एम. ए. तक अंग्रेजी पढ़ाई है, और साथ ही संस्कृतमें दर्शनाचार्य भी बनाया है। आपके सुपुत्रका नाम श्री पं. धन्यकुमार है जो आजकल इन्दौरमें प्रधानाध्यापक हैं। श्रीमान् पं. माणिकचन्द्रजी न्यायाचार्य भी इसी विद्यालयके छात्र हैं जो अद्वितीय प्रतिभाशाली हैं। सहारनपुरमें श्रीमान् लाला प्रद्युम्नकुमारजीके मुख्य विद्वान् हैं। आपने अनेक स्थानोंपर शास्त्रार्थ कर विजय प्राप्त की है । बहुतसे छात्रोंको न्यायशास्त्रमें विद्वान् बनाया है तथा श्री श्लोकवार्तिककी भाषा- टीका की है। श्री जम्बू विद्यालयका उद्घाटन आप हीके द्वारा हुआ था । आज कल आप सहारनपुरमें ही निवास करते हैं । इनके सिवाय श्रीमान् पं. देवकीनन्दनजी व्याख्यानवाचस्पति भी इसी विद्यालयके छात्र हैं। आज आप भी श्रीमान् सर सेठ हुकुमचन्द्रजीके प्रधान पण्डितोंमें हैं। आपके द्वारा कारञ्जा गुरुकुलकी जो उन्नति हुई सो सर्वविदित है। परवारसभा भी आपके द्वारा समय-समयपर उन्नत हुई है।
अधिष्ठाता बाबा भागीरथजी
कुछ दिन बाद पण्डित दीपचन्द्रजी वर्णी, जो कि यहाँ के सुपरिन्टेन्डेन्ट थे, कारण पाकर मुझसे रुष्ट हो गये । यद्यपि मैं उनकी आज्ञामें चलता था,
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