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दर्शन और परिक्रमा
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हुआ एक कुण्ड दिखाई पड़ा। देखकर हर्षका पारावार न रहा, मानो अन्धेको नेत्र मिल गये हों या दरिद्रको निधि ! एकदम तीनों आदमी कुण्डके तटपर बैठ गये । देखकर ही तृषाकी शान्ति हो गई। थोड़ी देर बाद जलपान किया, फिर प्रभु पार्श्वके गुण गान गाने लगे - 'धन्य है प्रभु तेरी महिमा जब कि आपकी महिमा प्राणियोंको संसार - बन्धन से मुक्त कर देती है तब उससे यह क्षुद्र बाधा मिट गई, इसमें आश्चर्य ही क्या है ? परन्तु महाराज ! हम मोही जीव संसारकी बाधाओंके सहनेमें असमर्थ हैं, अतः इन क्षुद्र कार्योंकी पूर्तिमें ही भक्तिके अचिन्त्य भाको खो देते हें। आपका तो यहाँ तक उपदेश है कि यदि मोक्षकी कामना है तो मेरी भक्ति की भी उपेक्षा कर दो; क्योंकि वह संसार- बन्धनका कारण है। जो कार्य निष्काम किया जाता है वही बन्धन से मुक्त करनेवाला है । जो भी कार्य करो उसमें कर्तृत्व बुद्धिको त्यागो.. ..इत्यादि चिन्तना करते-करते बहुत समय बीत गया ।
साथमें आदमीने कहा - 'शीघ्रता करो, अभी मधुवन यहाँसे चार मील है' हमने कहा- जिस प्रभुने इस भयानक अटवीमें जलकुण्डका दर्शन कराया वही सब मधुवन पहुँचायेगा। अब हम तो आनन्दसे बियालू कर जब पार्श्वप्रभुकी माला जप चुकेंगे तब चलेंगे।' आदमी बोला- 'हठ मत करो, अगम्य अरण्य है, इसमें भयानक हिंसक पशुओंकी बहुलता है, अतः दिनमें ही यहाँसे चला जाना अच्छा है।' हमने एक न सुनी और आनन्दसे कुण्डके किनारे आराममें तीन घण्टे बिता दिये । पश्चात् भोजन कर श्री णमोकार मन्त्रकी माला फेरी । दिन अस्त हो गया। तीनों आदमी वहाँसे मधुवनको चल दिये और डेढ़ घण्टेमें मधुवन पहुँच गये। चार मील मार्ग डेढ़ घण्टेमें कैसे तय हो गया, यह नहीं कह सकते। यह क्षेत्रका अतिशय था । हमको तो उस दिनसे धर्ममें ऐसी श्रद्धा हो गई जो बड़े-बड़े उपदेशों और शास्त्रोंसे भी बहु परिश्रम साध्य थी ।
आत्माकी अचिन्त्य महिमा है, यह मिथ्यात्वके द्वारा प्रकट नहीं हो पाती । यदि एक मिथ्याभाव चला जावे तो आत्मामें आज ही वह स्फूर्ति आ जावे जो अनन्त संसारके बन्धनको क्षणमात्रमें ध्वस्त कर देते । परन्तु चूँकि अनादि कालसे अनात्मीय पदार्थोंमें इसकी आत्मीय बुद्धि हो रही है, अतः आपापरका विवेक नहीं हो पाता । इस प्रकार इस मिथ्यादर्शनके प्रभावसे जीवकी अनादि दुर्दशा हो रही है । अस्तु, सुखपूर्वक वन्दना और परिक्रमा कर हम बहुत ही कृतकृत्य हुए। मनमें यह निश्चय किया कि एकबार फिर पार्श्वप्रभुके निर्वाण क्षेत्रकी
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