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मेरी जीवनगाथा
मनुष्यको पानी न मिले यह क्या न्याय है ? अथवा हे नाथ ! आप क्या करेंगे ? मैंने जन्मान्तरमें ऐसा ही कर्म अर्जन किया होगा कि गिरिराजकी परिक्रमा कर तृषित हो प्राण त्यागूँ । हे भगवन् ! यह भी तो आगममें लिखा है कि अतिशय विशुद्धतासे पाप प्रकृतिका संक्रमण हो जाता है! यदि घुणाक्षरन्यायसे मेरे भी इस समय वह हो जावे तो कौन आश्चर्यकी बात है ? देखो तो प्रभो ! यदि इस समय मेरी अपमृत्यु हो गई तो यह लाञ्छन किसे लगेगा ? आखिर लोगसमुदाय यही तो कहेगा कि शिखरजीकी परिक्रमामें तीन आदमी पानीके बिना प्राण विहिन हो गये । जहाँ अनन्त प्राणी निर्वाण लाभ कर चुके वहाँ किसी TI भी देवने इनकी सहायता न की । कदाचित् यह कहो कि पञ्चमकालमें देव नहीं आते सो ठीक है, कल्पवासी नहीं आते परन्तु व्यन्तरादिक तो सर्वत्र हैं। उन्होंने सहायता क्यों नहीं की ? यह भी कहना कि जब पापकर्म का प्रबल उदय होता है तब कोई सहायक नही होता, बुद्धिमें नहीं आता, क्योंकि हे पतितपावन ! यदि हमारे पापका प्रबल उदय होता है तो इस भयंकर समयमें आपकी यात्राके भाव न होते। हमने यह यात्रा किसी वांछासे भी नहीं की है । केवल आपके गुणस्मरणके लिये ही की है। हाँ, मेरी यह भावना अवश्य थी कि एक बार आपकी यात्रा करके मनुष्यजन्म सफल करूँ । मुझे सम्पत्तिकी इच्छा नहीं, क्योंकि मेरा कोई कुटुम्ब नहीं है और न कोई पुत्रादि की ही वांछा है, क्योंकि मैंने बहुत समय से ब्रह्मचर्यव्रत ले रक्खा है । न कोई अन्य वांछा ही मुझे है, क्योंकि मैं जन्मसे ही अकिञ्चित्कर हूँ। यह सब होने पर भी आज निःसहाय ही पानीके बिना प्राण गमाता हूँ। हे प्रभो ! एक लोटा पानी मिल जावे, यही विनय है । यदि पानी के बिना प्राण चले गये तो कहाँ जाऊँगा, इसका पता नहीं । यदि पिपासासे परलोक नहीं हुआ और जीवित बच गया तब जन्मभर आपका नाम तो न भूलूँगा, पर इतना स्मरण अवश्य रहेगा कि आपके दर्शनसे मैं पिपासाकुलित हो मधुबन आया था । अतः हे दीनबन्धो ! कृपा कीजिये, जिससे कि पानीका कुण्ड मिल जावे' इत्यादि विकल्पोंने आत्माकी दशा चिन्तातुर बना दी। बादमें यह विचार हुआ चलो, भाग्यमें जो बदा है वही होगा, फिर भी हे प्रभो ! आपके निमित्तने क्या उपकार किया ? इतनेमें अन्तरात्मासे उत्तर मिला - यह पार्श्वनाथका दरबार है। इसमें कष्ट होनेका विकल्प छोड़ो। जो बीचमें गली है उसीसे प्रस्थान करो, अवश्य ही मनोभिलषितकी पूर्ति हो जावेगी ।
हम तीनों एक फर्लांग चले गये होंगे कि सामने पानीसे लबालब भरा
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